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जागरण ब्यूरो, नई
दिल्ली मौसम
के गरम रुख को देखते हुए गेहूं की बुवाई पिछड़ रही है। पारा न घटने से किसान
खेतों में बीज डालने से ठिठक रहे हैं। गेहूं की बुवाई का सीजन शुरू हुए
डेढ़ महीने से अधिक हो चुके हैं, लेकिन बुवाई रफ्तार नहीं पकड़ पाई है। पिछले
साल के मुकाबले गेहूं का बुवाई रकबा 11 लाख हेक्टेयर कम है। बुवाई
रकबा घटने की एक और वजह बताई जा रही है। बारिश में देरी के चलते किसानों
ने खरीफ फसलों की बुवाई भी विलंब से की, जो देर से पकी।
लिहाजा खेत खाली
नहीं हुए तो अब रबी बुवाई में स्वाभाविक देरी हो रही है। मानसून की जिस
लेट बारिश को लेकर सरकार और कृषि वैज्ञानिक बहुत उत्साहित थे, उसका फायदा
रबी सीजन की बुवाई को नहीं मिल रहा है। माना जा रहा था कि मिट्टी में पर्याप्त
नमी की वजह से रबी फसलों की बुवाई जल्दी शुरू हो जाएगी। यह उत्पादन
के लिहाज से फायदेमंद साबित होगा। मगर यह उलटा पड़ता दिख रहा है। गेहूं
उत्पादक राज्यों में सूरज की चमक घटने का नाम नहीं ले रही है। गेहूं बुवाई
के लिए 15 से
20 डिग्री
सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है, लेकिन इन राज्यों
में अधिकतम तापमान 27 डिग्री
सेल्सियस से नीचे नहीं खिसक रहा है। पंजाब में पारा थोड़ा
नीचे आया तो गेहूं की बुवाई भी तेज हुई है। कृषि मंत्रालय के
आंकड़ों के मुताबिक गेहूं की बुवाई पिछले साल के मुकाबले जहां
11 लाख
हेक्टेयर पीछे है। वहीं यह सामान्य बुवाई के मुकाबले 17 लाख हेक्टेयर
पिछड़ गई है। वैसे, तो
रबी सीजन की सभी फसलों की बुवाई पीछे चल रही है, लेकिन
प्रमुख फसल गेहूं की खेती का हाल संतोषजनक नहीं है। खासतौर पर
हरियाणा, उत्तर
प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान
और महाराष्ट्र
में गेहूं की बुवाई में सुधार नहीं हो रहा है। इन राज्यों में हफ्ते
दर हफ्ते बुवाई का रकबा घट रहा है। उत्तर प्रदेश में
अधिकतम तापमान 27 से
29 डिग्री
सेल्सियस चल रहा है। यह गेहूं बुवाई के लिए अनुकूल नहीं माना जा
रहा है। गेहूं किसानों के लिए यह मौसम काफी चिंताजनक
बना हुआ है। यहां बुवाई रकबा 8.50 लाख हेक्टेयर पीछे है।
इसी तरह राजस्थान में दो लाख और महाराष्ट्र में डेढ़ लाख हेक्टेयर तक कम
बुवाई हो पाई है।
Dainik jagran National Edition 18-11-2012 Page -12 (d`f”k)