बढ़ते तापमान की वजह से पानी मांग रही रबी की फसलों के लिए यह बारिश वरदान साबित हो रही है। इस आंधी,पानी से कई क्षेत्रों में उन किसानों का नुकसान भी हुआ है, जिन्होंने दलहनी और तिलहनी फसलें बोने में देर कर दी और अब उनकी फसलों में फूल निकले हुए हैं। कई क्षेत्रों में आई आंधी से जहां सरसों के फूल झड़ गए वहीं उसके बाद हुई बारिश से लंबे पौधे गिर गए हैं।
आज सुबह तक अलीगढ़ में 24 मिलीमीटर, आगरा में 17, बिजनौर में 15, बहराइच 10, सुल्तानपुर में नौ, जालौन में आठ, फैजाबाद में 7.5, लखनऊ में छह, बांदा में तीन, ललितपुर में दो मिलीमीटर तथा प्रदेश के पच्चिमी, पूर्वी और मध्य हिस्से में भी बारिश हुई है। इलाहाबाद, वाराणसी तथा मिर्जापुर की खेती बारिश से वंचित रही। नरेंद्र देव कृषि विश्वविालय कुमारगंज फैजाबाद में मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर पद्माकर त्रिपाठी गुरुवार को भी बारिश की संभावना व्यक्त करते हैं। उनके अनुसार इस समय सामान्य तौर पर 26 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए, लेकिन दो दिन पहले यह 29.30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जो फसलों के लिए प्रतिकूल होने लगा था, लेकिन बारिश होने के बाद अब यह घटकर 18 डिग्री सेल्शियस पर आ गया है। प्रोफेसर त्रिपाठी बताते हैं कि तीन दिन से पुरवा हवा चल रही है। पुरवा चलने से वातावरण में नमी की मात्रा बढ़ जाती है और उसी से बादल बनते हैं। इस बारिश से पहले ऐसी ही स्थितियां उत्पन्न हुई जिसकी वजह से पानी बरसा। हालात वैसे ही बने रहने के कारण कल भी बारिश होने के आसार हैं।
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक आरएस राठौर कहते हैं कि चंद दिन भी अब अगर वर्षा न होती, तो तापमान बढ़ने से गेहूं के पौधों की लंबाई प्रभावित होने लगती जिसका प्रभाव बालियों पर भी पड़ता। बारिश होने से एक तरफ जहां पौधों को नमी मिल गई वहीं उससे भी अधिक फायदा बढ़ते हुए तापमान के नियंत्रित हो जाने से हुआ है। वह कहते हैं कि फसलों में दाना बनने के समय नमी की बेहद आवश्यकता होती है और इस बारिश ने उस आवश्यकता को पूरा कर दिया है। फूल की अवस्था वाली दलहनी, तिलहनी फसलों में इस बारिश से हुए मामूली नुकसान की आशंका व्यक्त करते हुए वह कहते हैं कि आगे भी इसी तरह मौसम अनुकूल रहा तो रबी में रिकार्ड उत्पादन होगा।
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार 96.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं, 1.69 लाख हेक्टेयर में जौ, 6.12 लाख हेक्टेयर में चना, 3.03 लाख हेक्टेयर में मटर, 5.11 लाख हेक्टेयर में मसूर और 6.20 लाख हेक्टेयर में लाही,सरसों की बोआई की गयी है जो क्षेत्रफल के लिहाज से पिछले वषरे के मुकाबले अधिक है।
आज सुबह तक अलीगढ़ में 24 मिलीमीटर, आगरा में 17, बिजनौर में 15, बहराइच 10, सुल्तानपुर में नौ, जालौन में आठ, फैजाबाद में 7.5, लखनऊ में छह, बांदा में तीन, ललितपुर में दो मिलीमीटर तथा प्रदेश के पच्चिमी, पूर्वी और मध्य हिस्से में भी बारिश हुई है। इलाहाबाद, वाराणसी तथा मिर्जापुर की खेती बारिश से वंचित रही। नरेंद्र देव कृषि विश्वविालय कुमारगंज फैजाबाद में मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर पद्माकर त्रिपाठी गुरुवार को भी बारिश की संभावना व्यक्त करते हैं। उनके अनुसार इस समय सामान्य तौर पर 26 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए, लेकिन दो दिन पहले यह 29.30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जो फसलों के लिए प्रतिकूल होने लगा था, लेकिन बारिश होने के बाद अब यह घटकर 18 डिग्री सेल्शियस पर आ गया है। प्रोफेसर त्रिपाठी बताते हैं कि तीन दिन से पुरवा हवा चल रही है। पुरवा चलने से वातावरण में नमी की मात्रा बढ़ जाती है और उसी से बादल बनते हैं। इस बारिश से पहले ऐसी ही स्थितियां उत्पन्न हुई जिसकी वजह से पानी बरसा। हालात वैसे ही बने रहने के कारण कल भी बारिश होने के आसार हैं।
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक आरएस राठौर कहते हैं कि चंद दिन भी अब अगर वर्षा न होती, तो तापमान बढ़ने से गेहूं के पौधों की लंबाई प्रभावित होने लगती जिसका प्रभाव बालियों पर भी पड़ता। बारिश होने से एक तरफ जहां पौधों को नमी मिल गई वहीं उससे भी अधिक फायदा बढ़ते हुए तापमान के नियंत्रित हो जाने से हुआ है। वह कहते हैं कि फसलों में दाना बनने के समय नमी की बेहद आवश्यकता होती है और इस बारिश ने उस आवश्यकता को पूरा कर दिया है। फूल की अवस्था वाली दलहनी, तिलहनी फसलों में इस बारिश से हुए मामूली नुकसान की आशंका व्यक्त करते हुए वह कहते हैं कि आगे भी इसी तरह मौसम अनुकूल रहा तो रबी में रिकार्ड उत्पादन होगा।
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार 96.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं, 1.69 लाख हेक्टेयर में जौ, 6.12 लाख हेक्टेयर में चना, 3.03 लाख हेक्टेयर में मटर, 5.11 लाख हेक्टेयर में मसूर और 6.20 लाख हेक्टेयर में लाही,सरसों की बोआई की गयी है जो क्षेत्रफल के लिहाज से पिछले वषरे के मुकाबले अधिक है।
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