ऊंची खा मुद्रास्फीति के बोझ तले दबे आम आदमी को उर्वरक की बढी वैश्विक कीमतों की मार से बचाने के लिए सरकार ने आज उवर्रक सब्सिडी बढ़ाने का फैसला किया। इससे अगले वित्त वर्ष में सरकार का उर्वरक सब्सिडी बिल करीब 9,000 करोड़ रुपए तक बढ़ने की संभावना है। इस निर्णय से यूरिया, डाय-अमोनियम फास्फेट (डीएपी) और म्युरेट आफ पोटाश (एमओपी) की घरेलू कीमतों को संरक्षित रखा जा सकेगा। वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की अगुवाई वाले मंत्रियों के समूह की आज यहां हुई बैठक में उवर्रक कीमतों की समीक्षा की गई। बैठक के बाद उवर्रक सचिव सुतानू बेहुरिया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ैसब्सिडी की मात्रा को बढ़ाया जाएगा ताकि वहन करने योग्य कीमतों को बरकरार रखा जा सके। हम ब्यौरा तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक कीमतों में तेजी को देखते हुए न्यूनतम खुदरा मूल्य को उपयुक्त स्तर पर रखा जाना चाहिए। सरकार सब्सिडी बढाकर वैश्विक कीमतों में तेजी के बोझ को वहन करेगी। वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमत करीब 630 डालर प्रति टन की है और एमओपी की कीमत 400-420 डालर प्रति टन है। लेकिन सरकार जिस बेंचमार्क कीमत पर उवर्रक कंपनियों को सब्सिडी का भुगतान करती है वह क्रमश: 450 डालर प्रति टन और 350 डालर प्रति टन है। ऐसी आशंका है कि जो मुद्रास्फीति पहले ही जनवरी के महीने में 8.23 प्रतिशत की ऊंचाई पर है वह और बढ़ेगी क्योंकि उवर्रकों की अधिक कीमत खाान्नों की उत्पादन लागत को और बढ़ा देगा.
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