Tuesday, April 3, 2012

बुंदेलखंड ने गेहूं उत्पादन में पंजाब को पछाड़ा


डेढ़ दशक से सूखे से जूझ रहे बुंदेलखंड के चित्रकूट से राहत देने वाली खबर है। इंद्रदेव के मेहरबान होने से गेहूं के उत्पादन में प्रति हेक्टेयर इतना उछाल आया कि पंजाब भी पीछे हो गया है। गेहूं, चना, अरहर, सरसों और मसूर का इस साल रिकार्ड उत्पादन हुआ है। उम्मीद है कि खरीफ के मौसम में वह किसान भी खेती-बारी फिर शुरू कर देंगे, जो कृषि से तौबा कर चुके थे। दस साल से जिले में सामान्य वर्षा 830 मिलीमीटर से कम हो रही थी, जिससे किसानों के खेत बंजर पड़े रहते थे। 2009 में तो इतना जबर्दस्त सूखा पड़ा कि किसानों ने खेतों में जो बीज डाला था, वह भी वापस नहीं आया था। इसके बाद जिले के किसानों ने खेती से तौबा कर ली। हालांकि इस साल इंद्रदेव बुंदेलखंड में ऐसे मेहरबान हुए कि कई साल की वर्षा का रिकार्ड टूट गया। जिले में 960 मिमी वर्षा हुई, जबकि इसके पूर्व में मात्र 437 मिलीलीटर वर्षा हुई थी। इससे किसानों का हौसला बढ़ा। उन्होंने कई साल से परती पड़े खेतों में रबी और दलहनी फसलों की बुआई कर डाली। इसका अच्छा परिणाम भी देखने को मिला। जिले के खेतों में गेहूं, चना, सरसों, अरहर और मसूर की फसल लहलहाती रही। कृषि विभाग की मानें तो जिला बनने के बाद चित्रकूट में पहली बार रिकार्ड फसल का उत्पादन हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि गेहूं के प्रति हेक्टेयर उत्पादन के मामले में तो पंजाब भी पीछे हो गया है। उप कृषि निदेशक मोहम्मद आरिफ सिद्दीकी ने बताया कि जिले में गेहूं उत्पादन प्रति हेक्टेयर 30 से 32 क्विंटल आया है, जबकि पंजाब में पिछले साल 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन हुआ था। जिले में पिछले साल 17.84 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन हुआ था। उन्होंने बताया कि चना का भी रिकार्ड उत्पादन होने की संभावना है। क्राफ्ट कटिंग में 16 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन सामने आया है। पिछले साल चना का उत्पादन मात्र 6.08 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था। सरसों उत्पादन में भी जबर्दस्त उछाल देखा गया है। उन्होंने 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के उत्पादन की संभावना व्यक्त की, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग सात क्विंटल अधिक है। अरहर उत्पादन भी काफी अधिक हुआ है। सिद्दीकी ने बताया कि उनके अलावा जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह ने खुद देखा कि प्रति हेक्टेयर उत्पादन 32 क्विंटल निकला है।

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