Saturday, August 4, 2012

सावन में भी तरसे यूपी के किसान


सावन में भी यूपी के किसान बारिश को तरसते रहे। सूबे के छह जिलों के अलावा बाकी सभी जिलों में मानसून की नाराजगी बनी रही। इनमें सामान्य से कम बारिश रिकार्ड की गई। इससे सीधा नुकसान खरीफ की बुआई पर पड़ा है। मौसम विभाग के आंकड़े के अनुसार सूबे के उन 26 जिलों में सामान्य से आधी बारिश हुई जिनको धान की बेहतर उपज देने वाला जिला माना जाता है। मेरठ, बागपत, महाराजगंज, कुशीनगर, गौतमबुद्धनगर, रामपुर, गाजियाबाद, हाथरस व हापुड़ में सबसे कम बारिश हुई। केवल छह जिलों ललितपुर, कांशीराम नगर, चित्रकूट, बलरामपुर, अंबेडकर नगर व कानपुर देहात पर ही इंद्रदेव मेहरबान रहे। इन जिलों में सामान्य से थोड़ा अधिक पानी बरसा। सावन के बादलों की रुसवाई ने धान उत्पादक किसानों की हिम्मत तोड़ दी है। जिसके चलते धान की रोपाई लक्ष्य से करीब 25 फीसद कम रही। दलहनी फसलों, मक्का, ज्वार व बाजरा की बुआई की स्थिति भी कमोबेश ऐसी ही है। बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी के जिलों में हालात अधिक नाजुक है। पश्चिमी जिलों में खरीफ फसलों के आच्छादन क्षेत्र में तीस प्रतिशत से अधिक कमी आई है। बुंदेलखंड में 55,840 हेक्टयर धान रोपाई के विपरीत साढ़े 12 हजार हेक्टेयर में आच्छादन हो सका है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसके सिंह का कहना कि खरीफ फसलों की बुआई का आदर्श समय 15 जुलाई तक माना जाता है। इसके बाद बुआई में देरी से प्रति सप्ताह उत्पादन दस से 15 फीसद घटता है। जुलाई में अपेक्षित वर्षा न होने से उत्पादन का लक्ष्य पूरा करना मुश्किल हो गया है। इस बार प्रदेश में अब तक सामान्य से 23 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। यदि अगस्त में भी इंद्रदेव की विशेष कृपा नहीं होती है तो वर्ष 2007 2002 के सूखे जैसी परिस्थितियां पैदा हो सकती है। सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फार ड्राईलैंड एग्रीकल्चर (सीआरआइडीए) के आंकड़ों के मुताबिक 2002 में 19 प्रतिशत वर्षा सामान्य से कम होने पर देश का खाद्यान्न उत्पादन 2.40 लाख टन गिरा था। 2007 में वर्षा 23 प्रतिशत कम हुई परंतु खरीफ की फसलों का उत्पादन वर्ष 2002 के सापेक्ष कम ही गिरा था। मानसून का आधे से अधिक समय बीतने और वर्षा सामान्य से कम होने से कृषि विभाग डैमेज कंट्रोल की कोशिशों में लगा जरूर है परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली संकट एवं नहरों में पानी न पहुंचना किसानों की मुसीबतें बढ़ा रही है। हालात में सुधार बादलों की मेहरबानी पर ही निर्भर है। हालात बेकाबू नहीं : डीएम सिंह नवनियुक्त कृषि निदेशक डीएम सिंह का कहना है कि प्रदेश में औसत से कम वर्षा भले ही हो परंतु पिछले तीन चार दिनों में पश्चिमी यूपी में वर्षा होने से राहत मिली है। वर्षा की स्थिति और किसानों की जरूरतों को पूरा करने पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। निदेशालय में कंट्रोल रूम की स्थापना कर दी है। किसान अपनी समस्या 0522-2206925 फोन नंबर पर दर्ज करा सकते हैं। कंट्रोल रूम में प्रात: दस से शाम पांच बजे तक सक्षम अधिकारी मौजूद रहेंगे।

1 comment:

  1. सब से बड़ी शर्म की बात ये है कि हमारे देश के किसान आज भी वर्षा पर निर्भर करते हैं...अच्छा आलेख।

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