Saturday, May 19, 2012

दो करोड़ टन गेहूं सड़ने की नौबत


केंद्र और राज्य सरकारों की सुस्ती के कारण किसानों को अधिक अन्न उपजाने की सजा मिलने के आसार बनते दिख रहे हैं। खून-पसीना बहाकर पैदा किया अन्न अब किसान आंखों के सामने सड़ते देखेंगे। यही नहीं साढ़े आठ करोड़ टन से ज्यादा रिकार्डतोड़ फसल पैदा करने के बाद भी किसानों की जेब खाली रहेगी और गरीबों के पेट पहले की तरह ही भूखे। चूहे-कीड़े-मकोड़े खुले में सड़ता अनाज पहले जमकर छकेंगे और उसके बाद चांदी होगी तो शराब निर्माताओं की, क्योंकि किसानों के नाम पर कसमें खाने वाली सरकारों के पास उसकी फसल को रखने के इंतजाम ही नहीं हैं। इसके कारण दो करोड़ टन गेहूं बर्बाद होना तय है। केंद्रीय खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने स्वीकार किया कि अन्न की ज्यादा पैदावार और भंडारण क्षमता में भारी अंतर बन गया है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को खाद्यान्न भंडारण का अनुभव न होने से स्थितियां और खराब हो सकती हैं। अस्थायी व पक्के गोदामों में छंटाकभर अनाज रखने की जगह नहीं है। देश की बड़ी मंडियों में लाखों टन गेहूं खुले में जमा हो चुका है। उसे तिरपाल तक से ढकने की सुविधा नहीं है। एक जून तक 3.18 करोड़ टन गेहूं भंडारण का लक्ष्य है, लेकिन केंद्र ने हाथ खड़े कर भंडारण की जिम्मेदारी गेहूं उत्पादक राज्यों पर डाल दी है। सरकारी गोदामों में गुरुवार तक 7.80 करोड़ टन खाद्यान्न जमा हो चुका है। इसमें 3.00 करोड़ टन चावल और बाकी 2.30 करोड़ टन गेहूं है। उनमें पिछले सालों का लगभग 70 लाख टन पुराना अनाज भी भरा पड़ा है। देश में कुल 6.38 करोड़ टन खाद्यान्न भंडारण की क्षमता है। पंजाब, हरियाणा, उप्र और मप्र में रोजाना 10 लाख टन गेहूं आ रहा है। मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक 1 जून 2012 तक इस क्षमता के मुकाबले दो करोड़ टन अनाज अधिक हो जाएगा। आशंका है कि मानसून की पहली बौछार के साथ बर्बादी की शुरुआत हो जाएगी। जिन राज्यों ने जितना बढ़-चढ़कर बंपर पैदावार की उन्हीं का अनाज सबसे ज्यादा सड़ेगा। 

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