Saturday, May 19, 2012

पंजाब में सड़े अनाज से बनेगी शराब


पंजाब के गोदामों और अनाज भंडारण के लिए खुले में बनाई गई प्लींथों पर रखे हुए अनाज का एक हिस्सा अब देश में गरीब का निवाला नहीं बन पाएगा। इस पर नॉट फिट फॉर हयूमन कंजंप्शन का ठप्पा लग चुका है। केंद्र सरकार की भंडारण नीति और रेलवे की अनाज ढुलाई गति इस सड़े अनाज को अमीर के प्याले में डालने वाली है, वो भी भारी सब्सिडी के साथ। शराब पर चाहे जितना आबकारी कर लग रहा हो पर इसे बनाने वाली कंपनियों को पंजाब में सड़ चुका करीब 47 हजार टन अनाज इस साल सब्सिडी के साथ अथवा बाजार भाव से एक तिहाई दामों पर मिलने वाला है। अगले साल भी ग्रेन बेस शूगर फ्री व्हीस्की अथवा सस्ती वोदका बनाने वाली किसी कंपनी को कच्चे माल की कमी न आए, इसका प्रबंध भी सरकार ने कर दिया है। यही नहीं चार से पांच हजार टन सड़ा अनाज अगले साल भी नीलाम किया जाएगा। संभव है तब तक हमारी व्यवस्था प्रकृति की आड़ में कुछ ऐसे और इंतजाम कर दे कि फिर आने वाले सालों में भी कमी न आने पाए। राज्य सरकार की अनाज खरीद एजेंसियों की तालमेल कमेटी के चेयरमैन भुपिंदर सिंह कहते हैं कि खराब होने वाली गेहूं का आंकड़ा आधा से एक फीसद ही है। इसे बढ़ा चढ़ाकर दिखाया जा रहा है, लेकिन अगर अनाज खराब हुआ है तो जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए, पर आप इसे सिर्फ कर्मियों के सिर पर नहीं थोप सकते। केंद्र सरकार के मापदंड के अनुसार गेहूं की सेल्फ लाइफ नौ महीने है, पर पंजाब के गोदामों में 2009 का गेहूं भी पड़ा है। 2005 में मामला सर्वोच्च न्यायालय तक जाने के बाद एफसीआइ ने एक साल में ही गेहूं उठवाने की बात स्वीकार की थी, पर अब फिर हालात वहीं के वहीं आ गए हैं। वहीं, पंजाब में एकबारगी सड़कों पर खराब होते धान को ठिकाने लगाने के लिए नई तकनीक की तलाश कर सस्ती बीयर बनाने का विचार भी यहां के नेता दे चुके हैं। वर्ष 2002 के बाद चलाए गए डाइवर्सिफिकेशन अभियान के दौरान कहा गया कि द्वि-फसलीय चक्र ने जौ व गन्ने की खेती के अधीन रकबा खत्म कर दिया है और हम धान की पैदावार इतनी बढ़ा चुके हैं कि संभल नही रहा। तर्क दिया गया कि हिमाचल प्रदेश के दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्रों में फल उगते ज्यादा हैं पर मैदानों तक लाना खासा मंहगा हो जाता है। ऐसे में वहां की सरकारों ने वाइन पालिसी बनाई और राजस्व बढ़ाने के साथ रोजगार भी उपलब्ध करवा दिया। हाल ही के वर्षो का उदाहरण दे उक्त खुलासे के साथ सोशल साइंसेज एंड हेल्थ फोरम के डा.पीपी खोसला कहते हैं कि पंजाब के अनाज और देश के हालात को आप इस तरह से नहीं देख सकते। आपको अनाज सड़ने से रोकने के ही उपाय करने होंगे। या तो आप जमीन की कीमत के आधार पर गोदामों का किराया बढ़ाएं या फिर जहां सस्ते गोदाम हैं वहां मानसून आने से पहले गेहूं ले जाएं। डा.खोसला कहते हैं कि गेहूं और धान ही क्यों खराब होता है? केंद्र के संस्थान एफसीआइ का चावल तो कभी नहीं सड़ता।

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