Wednesday, June 29, 2011

चीनी मिलों का रवैया गन्ने की खेती को ले डूबा


पूर्वाचल में गन्ना की खेती पर संकट मंडराने लगा है। चीनी मिलों की मनमानी के दुष्परिणाम अब खुलकर सामने आने लगे हैं। गन्ना लेने के बाद मिलों ने भुगतान नहीं किया तो किसानों का मनोबल टूटा और अब स्थिति यह है कि केवल गोरखपुर परिक्षेत्र में लगभग एक लाख किसानों ने गन्ना बोना छोड़ दिया है। गन्ना के बल पर समृद्धि का सपना देखने वाले पूर्वाचल की उम्मीदें अब टूटती नजर आ रही हैं। गन्ना विभाग द्वारा गन्ना विकास के नाम पर लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद किसानों का रुझान अब गन्ने की खेती की तरफ नहीं हो रहा है। यहां की चीनी मिलों पर पुराना गन्ना मूल्य तो लगभग पचास करोड़ से ज्यादा बकाया है। नए गन्ना मूल्य में अकेले सरदार नगर चीनी मिल ने दो करोड़ व गड़ौरा चीनी मिल ने सात करोड़ रुपये दबा लिए हैं। आरसी जारी होने के बावजूद इन मिलों की मंशा भुगतान करने की नहीं दिख रही है। गन्ने की खेती से किसानों के मोहभंग का यह मुख्य कारण है। पेराई सत्र 10-11 में गन्ना आपूर्ति पर नजर डालें तो गन्ने की खेती से किसानों के मोहभंग की बात साफ हो जायेगी। गोरखपुर परिक्षेत्र में कुल 317287 गन्ना किसान हैं जिनमें से केवल 212949 किसानों ने ही चीनी मिलों को गन्ना आपूर्ति की। विभागीय सूत्रों के अनुसार सिसवा चीनी मिल परिक्षेत्र में कुल 40151 किसान गन्ना बोते थे, अब इनकी संख्या 19716 रह गयी है। इसी प्रकार गड़ौरा चीनी मिल परिक्षेत्र में 36360 की जगह 10928, बस्ती चीनी मिल परिक्षेत्र में 46463 की जगह 29462, वाल्टरगंज चीनी मिल परिक्षेत्र में 28180 की जगह 22765, रुधौली चीनी मिल परिक्षेत्र में 22996 की जगह 22457, बभनान चीनी मिल परिक्षेत्र में 65651 की जगह 61473, खलीलाबाद चीनी मिल परिक्षेत्र में 40512 की जगह 21493 व सरदार नगर चीनी मिल परिक्षेत्र में 30974 की जगह 24655 किसानों ने ही गन्ना बोया। सरदार नगर चीनी मिल परिक्षेत्र के गन्ना किसानों ने बताया कि सरदार नगर चीनी मिल किसानों का गन्ना मूल्य रोककर उससे ब्याज कमा रही है। किसान पाई-पाई के लिए मोहताज हैं और मिल उनका भुगतान करने का नाम नहीं ले रही है, इससे किसानों का मनोबल टूटा है, गन्ने का रकबा कम हुआ है.

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