Friday, September 14, 2012

चुनिंदा कृषि जिंसों की तय होगी न्यूनतम निर्यात सीमा



नई दिल्ली, एजेंसियां : चुनिंदा कृषि जिंसों की न्यूनतम निर्यात सीमा तय करने पर सरकार विचार कर रही है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बने रहने में भारत को मदद मिलेगी। खाद्य मंत्री केवी थॉमस के मुताबिक आयात-निर्यात नीति के तहत इसकी प्रक्रिया तैयार करने पर काम चल रहा है। चीनी उद्योग पर यहां आयोजित एक सम्मेलन में थॉमस ने कहा कि देश के व्यापारिक हित में यह सही नहीं है कि कुछ साल तो हम निर्यात करते रहें और अचानक ही निर्यात पर पाबंदी लगा दी जाए। सरकार गेहूं, चावल और चीनी की न्यूनतम मात्रा में निर्यात की योजना बना रही है। वाणिज्य मंत्रालय से इस बारे में विचार विमर्श हो रहा है। इससे न सिर्फ किसानों बल्कि निर्यातकों को भी फायदा होगा। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि इन तीनों जिंसों के निर्यात की मौजूदा नीति बनी रहेगी। चीनी उद्योग को नियंत्रणमुक्त करने के बारे में उन्होंने कहा कि इस बारे में सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। इस पर बनी रंगराजन समिति जल्द ही प्रधानमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस रिपोर्ट के मंजूर होते ही इसकी सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू कराया जाएगा। थॉमस ने उम्मीद जताई कि अगले चीनी विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में भी घरेलू मांग के मुकाबले चीनी का उत्पादन ज्यादा रहेगा। 2012-13 में इसका 2.45 करोड़ टन उत्पादन होने का अनुमान है। इस दौरान घरेलू मांग 2.2 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। इसे देखते हुए निर्यात के लिए सरप्लस चीनी बचेगी। यह लगातार तीसरा साल होगा जब चीनी का बंपर उत्पादन होगा। चालू चीनी वर्ष में 2.6 करोड़ टन उत्पादन हुआ है। इस दौरान सरकार ने 33 लाख टन चीनी निर्यात की मंजूरी दी है। भारत चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता और दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
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