Monday, September 17, 2012

खरीफ में डेढ़ करोड़ टन कम पैदावार का अनुमान



ठ्ठ सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली मानसून में देरी और कम बारिश से जहां धान का रोपाई रकबा घट गया, वहीं मोटे अनाज और दलहन की बुआई कम हो पाई है। लौटते मानसून की बारिश से भी उत्पादन में बहुत सुधार की गुंजाइश नहीं है। यही वजह है कि खरीफ सीजन में खाद्यान्न की पैदावार में लगभग डेढ़ करोड़ टन की कमी का अनुमान है। गोदामों में भारी मात्रा में अनाज होने की वजह से खाद्य सुरक्षा पर खतरा भले ही न हो, लेकिन महंगाई बढ़ने के पूरे आसार हैं। खरीफ की सभी प्रमुख फसलों के उत्पादन पर मानसून के देर से आने का असर पड़ा है। कृषि मंत्रालय ने पैदावार के प्राथमिक अनुमान का आंकड़ा लगभग तैयार कर लिया है, जिसे सितंबर के आखिरी महीने तक जारी किए जाने की संभावना है। पिछले खरीफ सीजन (2011-12) में चावल का कुल उत्पादन 9.15 करोड़ टन हुआ था। चालू सीजन में रोपाई रकबे में लगभग 16 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। प्रति हेक्टेयर 2.5 टन उत्पादकता के अनुमान के आधार पर चावल की पैदावार 40 लाख टन कम होगी। बारिश शुरू होने के बाद हुई कुछ रोपाई के आंकड़ों को भी शामिल कर लिया जाए तो भी उत्पादन में बहुत सुधार की गुंजाइश नहीं दिखती। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, सात सितंबर तक कुल 350 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी। लेकिन इस सीजन में असामान्य बारिश की वजह से खेतों में खड़ी धान की फसल की उत्पादकता में पांच से सात फीसद तक की कमी आ सकती है। यानी चावल की कुल पैदावार में 45 लाख टन की कमी आने का अनुमान है। मानसून के गड़बड़ाने से मोटे अनाज वर्ग वाले ज्वार, बाजरा व मक्का समेत अन्य फसलों की खेती में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। पिछले खरीफ सीजन के मुकाबले कुल 22 लाख हेक्टेयर तक रकबा घट गया है। इनकी औसत उत्पादकता 1.5 टन प्रति हेक्टेयर को आधार मानें तो कुल पैदावार में 35 लाख टन तक की गिरावट आएगी। समय पर बारिश न होने की वजह से दलहन खेती भी प्रभावित हुई है। दलहन की बुआई में छह लाख हेक्टेयर बुआई कम आई है। इससे दलहन उत्पादन में गिरावट तय है। खाद्यान्न की कुल पैदावार को जोड़ें तो लगभग डेढ़ करोड़ टन कमी आने का अनुमान है। खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान सरकार के साथ जिंस कारोबार से जुड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान व कमोडिटी एक्सचेंज भी लगाने में जुटे हुए हैं।

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