Thursday, September 8, 2011

उत्तरी राज्यों के भूजल में घुल रहा जहर


उत्तरी राज्यों के भूजल में जहर घुल रहा है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के पेयजल स्वच्छता विभाग ने कृषि उद्योग मंत्रालयों पर उंगली उठाते हुए इसके लिए उन्हें सीधे जिम्मेदार ठहराया है। लाखों की संख्या में लग रहे गहरे ट्यूबेलों से अंधाधुंध दोहन की वजह से भूजल में खतरनाक किस्म के रसायनों घातक ठोस तत्व तेजी से घुल रहे हैं। इस पर पाबंदी लगाने में नाकाम पेयजल और स्वच्छता विभाग ने असमर्थता जताई और कहा कि उसके पास कोई कानूनी अधिकार नहीं है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के इस विभाग का कहना है कि पेयजल की गुणवत्ता नियंत्रण के मामले में उसकी भूमिका बहुत सीमित है। दरअसल देश के समूचे भूजल में से हमारी भागीदारी केवल पांच फीसदी है। फिर भी पेयजल की घटती गुणवत्ता के मामले को विभाग ने गंभीरता से लिया है। पेयजल स्वच्छता विभाग ने संसद की स्थायी समिति के समक्ष स्पष्ट रूप से कहा है कि कृषि विभाग ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में लाखों की संख्या में ट्यूबेल स्थापित किए हैं। इनमें गहरे बोरवेल भी हैं। इसके अलावा उद्योग विभाग ने भूजल के दोहन के लिए धड़ाधड़ लाइसेंस बांटे हैं। जल संसाधन और पेयजल विभाग के पास इसकी रोक टोक के लिए कोई कानूनी अधिकार नहीं हैं। जबकि पेयजल की गुणवत्ता को बनाए रखने का अधिकार वन पर्यावरण मंत्रालय के पास है। पेयजल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए यह मुद्दा मंत्री समूह के समक्ष भी उठाया जा चुका है।


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