Thursday, September 8, 2011

किसानों के हितों की रक्षा के लिए बनेगा निगरानी तंत्र

नई दिल्ली नए भूमि अधिग्रहण विधेयक के प्रस्ताव को मंजूरी देने के साथ ही सरकार ने यह इंतजाम भी कर दिया है कि कंपनियां जिन किसानों से जमीन लें उन्हें मुआवजा देने में कोई कोताही नहीं बरतें। विधेयक के संसद में पारित होने के तुरंत बाद ही सरकार ऐसा निगरानी ढांचा तैयार करेगी जो कानून के मुताबिक भू-अधिग्रहण करने वाली कंपनी से किसानों को कानून सम्मत मुआवजा या नौकरी आदि दिलाने का काम करेगा। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में यह मुद्दा उठा कि किसानों को लंबे समय तक मुआवजा देने का प्रावधान किया जा रहा है, लेकिन इस पर नजर किस तरह से रखी जाएगी कि उन्हें यह मुआवजा मिल रहा है या नहीं। यह कौन देखेगा कि एक गरीब किसान को भविष्य में जमीन लेने वाले उद्योग समूह ने उचित मुआवजा दिया या नहीं। इसके बाद ही यह आम राय बनी कि या तो एक एजेंसी गठित की जाए या कोई और व्यवस्था हो जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके किसानों के साथ बाद में किसी प्रकार का छल हो। सूत्रों के मुताबिक सदन में पारित होने के बाद इस तंत्र का ढांचा कार्य अधिकार वगैरह तय किए जाएंगे। इसका मुख्य कार्य नए भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक प्रभावित लोगों को मुआवजा दिलाना होगा। अधिग्रहण से प्रभावित व्यक्ति इस तंत्र के पास अपनी शिकायत लेकर जा सकेगा। अगर अगर किसानों या किसी अन्य प्रभावित पक्ष को मुआवजा मिलने में कोई गड़बड़ी हुई है तो इस तंत्र को दोषी पक्ष पर दंड लगाने का भी अधिकार मिल सकता है। सनद रहे कि कैबिनेट ने आज विधेयक का जो प्रस्ताव मंजूर किया है उसमें मुआवजा देने के व्यापक प्रावधान हैं। अधिग्रहीत जमीन से प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर से प्रभावित लोगों को एकमुश्त और बाद में मुआवजा देने की व्यवस्था है। मसलन, प्रभावित परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देने की व्यवस्था है। जिस परिवार का रोजगार इससे प्रभावित हो रहा है उसके लिए भी इसमें व्यवस्था है। पीडि़त परिवारों को पूरे 20 वर्षो तक पेंशन देने का भी प्रावधान किया जा रहा है। जमीन मालिक नहीं होने के बावजूद अधिग्रहण से अगर किसी व्यक्ति का रोजगार प्रभावित होता है तो उसे रोजी रोटी उपलब्ध कराने की व्यवस्था इसमें है

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