Monday, September 5, 2011

पांच सौ एकड़ से ज्यादा के भूमि अधिग्रहण पर लागू हो नया कानून


नई दिल्ली प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण कानून को संसद में पेश करने से ठीक पहले उद्योग जगत ने इसे लेकर लामबंदी तेज कर दी है। प्रमुख उद्योग चैंबर फिक्की ने अपनी तरह से इस कानून में अपेक्षित बदलावों की एक फेहरिस्त सरकार को सौंपी है। चैंबर ने कहा है कि यह कानून सिर्फ उन्हीं निजी कंपनियों पर लागू होना चाहिए, जो 500 एकड़ या इससे ज्यादा जमीन अधिग्रहीत करती हैं। प्रस्तावित कानून में यह सीमा 100 एकड़ निर्धारित की गई है। अन्य उद्योग चैंबरों की तरफ से भी सरकार को ऐसे ही प्रस्ताव भेजे गए हैं। इंडिया इंक को प्रस्तावित कानून के अधिकांश प्रावधानों से समस्या है। मसलन, किसी भी गांव की जमीन अधिग्रहीत करने के लिए उसके 80 फीसदी प्रभावित परिवारों की सहमति अनिवार्य करने का प्रस्ताव है। फिक्की का कहना है कि अगर 50 फीसदी प्रभावित परिवार भी तैयार हैं, तब भी सरकार को जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने में निजी कंपनियों को मदद करनी चाहिए। फिक्की ने जनहित की परिभाषा के दायरे को भी बढ़ाने का आग्रह किया है। फिक्की का कहना है कि अगर मौजूदा प्रावधानों को लागू किया जाता है तो यह देश में होने वाले निवेश पर काफी विपरीत असर डालेगा। नए कानून में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिनके पचड़े में उद्योग जगत नहीं पड़ना चाहेगा। इसलिए वह अपना पैसा किसी दूसरे देश में लगाना पसंद करेगा। इस क्रम में विशेष आर्थिक क्षेत्र यानी एसईजेड का उदाहरण दिया गया है। सरकार ने जब एसईजेड कानून बनाया था, तब इसमें निवेश करने वाली कंपनियों को भारी कर छूट देने का वादा किया था। बाद में कर छूट खत्म करने का निर्णय लिया गया। इससे कई निवेशकों ने एसईजेड से बाहर निकलने का निर्णय किया है। सरकार के इस फैसले के बाद देश में एसईजेड का विकास काफी धीमा हो गया है


No comments:

Post a Comment