Tuesday, July 26, 2011

भूमि अधिग्रहण पर नए विधेयक का मसौदा तैयार


भूमि-अधिग्रहण मानदंडों को लेकर बढ़ते विवाद के बीच सरकार ने नए विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है। इसके तहत भूमि खरीद से पहले जमीन के 80 फीसदी मालिकों की सहमति अनिवार्य कर दी गई है। अधिगृहीत भूमि पर निर्भर भूमिहीन लोगों को भी मिलेगा फायदा। मसौदे में सोनिया गांधी नीत राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की सिफारिशों को भी शामिल किया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही नया मसौदा सार्वजनिक कर दिया जाएगा। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश की अध्यक्षता में मसौदा विधेयक पर हुई चर्चा के बाद एनएसी के प्रमुख सदस्य एनसी सक्सेना ने कहा कि कई मामलों में नया मसौदा परिषद के सुझावों से बेहतर है। उन्होंने कहा कि एनएसी ने 70 फीसदी का सुझाव दिया था, लेकिन ग्रामीण विकास मंत्रालय 80 फीसदी भूस्वामियों को अधिग्रहण की रजामंदी देने की बात कर रहा है। ग्रेटर नोएडा में भूमि अधिग्रहण को लेकर विवाद चल रहा है। वहा किसान ऊंचे मुआवजे की मांग कर रहे हैं। इसके चलते सरकार ने भूमि विधेयक को संसद में लाने के प्रयासों में तत्परता दिखाई है। भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास के प्रावधानों को एक विधेयक में शामिल करने की एनएसी की अनुशंसा पर मंत्रालय ने सहमति जता दी है। सक्सेना ने कहा कि सरकारी उद्देश्यों के साथ-साथ निजी कंपनियों के लिए भूमि-अधिग्रहण एक विधेयक के दायरे में आएंगे। हालांकि, जब भूमि निजी कंपनियों को दी जाएगी, तो 80 फीसदी लोगों को अनिवार्य रूप से रजामंदी देनी होगी। एनएसी ने मुआवजे को पंजीकरण मूल्य से छह गुना तक बढ़ाने की अनुशंसा की है। उन्होंने बताया कि अपनी आजीविका के लिए अधिग्रहण की गई जमीन पर निर्भर भूमिहीन लोग भी इससे लाभांवित होंगे। उन्हें 20 वर्ष तक प्रतिमाह दो हजार रुपये दिए जाएंगे। सक्सेना ने कहा कि लोगों की सुरक्षा को आपात प्रावधान के दायरे में लिया जाएगा। सौ एकड़ से अधिक भूमि का अधिग्रहण करने पर सड़क, बिजली, आवास, मैदान समेत 26 सुविधाएं दी जाएंगी। भूमि अधिग्रहण के कारण विस्थापित लोगों को कम से कम एक साल तक प्रतिमाह तीन हजार रुपये दिए जाने चाहिए। अनुसूचित जनजाति के लोगों की भूमि का अधिग्रहण करने पर उन्हें कम से कम एक एकड़ जमीन दी जाएगी। सिंचाई परियोजना के लिए जमीन खोने वाले लोगों को एक एकड़ जंमीन दी जाएगी। उम्मीद है कि एक और दौर की बातचीत के बाद मसौदा विधेयक सार्वजनिक किया जाएगा।

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