Friday, August 12, 2011

भागते किसानों पर दागी गई गोलियां


मुंबई बीते मंगलवार को पुणे के पास पुलिस ने भागते हुए किसानों पर पीछे से फायरिंग की थी, न कि हमलावर हो रहे किसानों से अपने बचाव में। यह तथ्य एक वीडियो फुटेज के जरिये सामने आने के बाद महाराष्ट्र सरकार की मुसीबतें और बढ़ गई हैं। यह वीडियो देखने के बाद विपक्ष ने गुरुवार को तीसरे दिन भी राज्य सरकार को कसूरवार बताते हुए विधानमंडल के दोनों की सदनों की कार्यवाही नहीं चलने दी। इस बीच, फायरिंग के मामले में छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। सभी निलंबित पुलिसकर्मी कांस्टेबल हैं। 9 अगस्त को पुणे के निकट मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे पर किसानों और पुलिस के बीच यह टकराव हुआ था, जिसमें पुलिस की गोली से तीन किसानों की मौत हो गई थी। तब पुलिस की ओर से कहा गया था कि किसानों द्वारा पुलिस पर भीषण पथराव के कारण स्थिति को संभालने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। पुलिस के अलावा राज्य के गृहमंत्री आरआर पाटिल ने भी गुरुवार को यह कहकर मामले को रहस्यमय बना दिया था कि गोलीबारी की शुरुआत एक इंडिका कार से हुई, जिसके बाद पुलिस को भी गोली चलानी पड़ी। लेकिन एक समाचार चैनल पर दिखाए गए उस दिन की घटना के वीडियो ने पुलिस और गृहमंत्री दोनों को झूठा साबित कर दिया है। इसके बावजूद सरकार अपनी बात पर अड़ी है कि पुलिस को गोलियां आत्मरक्षा में चलानी पड़ी थीं। उक्त वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि पुलिस मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे से नीचे भाग रहे किसानों पर निशाना साधकर गोलियां चला रही है। वीडियो में एक पुलिसकर्मी अपनी सरकारी रिवाल्वर से जबकि दूसरा पुलिसकर्मी स्वचालित राइफल से किसानों पर निशाना साधते दिखाई दे रहा है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार इस घटना में 21 चक्र आंसू गैस, 34 चक्र रबर की गोलियां एवं 51 चक्र वास्तविक गोलियां चलाई गई हैं। मृतक किसानों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यह कहा गया है कि गोलियां मृतकों की कमर के ऊपर लगी हैं। इस घटना में मोरेश्वर साठे नामक एक किसान भी मारा गया है, जबकि एक स्थानीय समाचार पत्र में छपे एक चित्र में जीवित साठे को दो पुलिसकर्मियों के हत्थे चढ़ा दिखाया गया है। उक्त वीडियो में पुलिसकर्मियों को एक्सप्रेस-वे पर खड़ी कारों एवं मोटरसाइकिलों को तोड़ते हुए भी दिखाया गया है। जबकि पुलिस वाहनों की तोड़फोड़ का एकतरफा आरोप किसानों पर मढ़ रही है। उक्त वीडियो के सार्वजनिक होने के बाद बुधवार तक जहां विपक्ष उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को इस घटना का दोषी मान रहा था, वहीं गुरुवार को पूरी सरकार उसके निशाने पर थी। यहां तक कि क्रुद्ध विपक्ष ने नेता विरोधी दल एकनाथ खडसे को भी नहीं बोलने दिया। लेकिन यह वीडियो देखने के बाद राज्य के गृहमंत्री आरआर पाटिल ने कहा है कि हाईकोर्ट के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश की जांच में यदि कोई पुलिसकर्मी किसानों पर बेवजह गोली चलाने का दोषी पाया जाएगा, तो उसे निलंबित नहीं बल्कि सीधे बर्खास्त कर दिया जाएगा। पाटिल ने दोषी पाए जाने वाले पुलिसकर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज करने का आश्वासन भी दिया है।

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