Thursday, March 3, 2011

किसानों को मालदार करेंगी 2105 मंडियां


उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में बनने वाली 2105 मंडियां अब किसानों की आय बढ़ायेंगी। 1964 में मंडी अधिनियम बनने के 47 साल बाद भी सूबे में महज तीन सौ मंडियां स्थापित हैं। एक से दूसरी मंडी के बीच अधिक दूरी है, जिसके कारण यह मंडियां सामान्य किसान की पहुंच से दूर हैं। नतीजतन सामान्य-सुविधाहीन किसान अपना उत्पाद इन मंडियों तक ले जाने में विवश रहते हैं और सस्ते दामों पर उन्हें अपने उत्पाद बिचौलियों व व्यापारियों को बेचना पड़ता है। इसके चलते बिचौलिये और व्यापारी तो अमीर होते जा रहे हैं, लेकिन किसान की स्थिति जस की तस ही बनी है। माना जा रहा है कि नई मंडियां बनने से सामान्य किसान भी अपने उत्पाद लेकर वहां पहुंच सकेंगे और उन्हें अपेक्षाकृत अधिक दाम मिलने से उनकी आय बढ़ने लगेगी। प्रादेशिक कोआपरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ), पंचायती राज, ग्राम्य विकास विभाग, भूमि सुधार निगम और यूपी डास्प की जमीन पर विकसित की जाने वाली इन मंडियों की स्थापना में संबंधित विभागों और मंडी परिषद के मध्य होने वाले समझौते (एमओयू) के बिंदुओं को लेकर मुख्यमंत्री मायावती से हरी झंडी मिलने के बाद अब इनकी स्थापना जल्दी होने के आसार हैं। हर साल पांच सौ मंडियां स्थापित कर चार साल में सभी मंडियों के संचालन का लक्ष्य है। योजना पूरी हो जाने पर मंडी तक जाने के लिए किसानों को औसतन सात किलोमीटर से अधिक की दूरी नहीं तय करनी पड़ेगी। इसके अलावा प्रदेश में हर साल खराब हो जाने वाले अरबों रुपये के खाद्यान्न व सब्जियों पर इससे काफी हद तक नियंत्रण में मदद मिलेगी। एमओयू के मुताबिक मंडियों का स्वामित्व संबंधित विभाग का रहेगा। इसलिए वही इसके रखरखाव की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। संबंधित विभागों द्वारा पूर्व से परिसरों में संचालित गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि मंडी स्थापित हो जाने के बाद उससे मिलने वाले मंडी शुल्क की 50 फीसदी राशि और दुकानों व चबूतरों से मिलने वाला पूरा किराया मंडी परिषद जमीन के स्वामित्व वाले विभाग को हर महीने देता रहेगा। कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, फसलों की कटाई से लेकर उसके उचित भंडारण के अभाव में आठ से दस प्रतिशत तक फसल हर साल बर्बाद हो जाती है। सब्जियों में और फलों में यह बर्बादी 25 से 30 प्रतिशत है। उल्लेखनीय है कि देश में इस साल अनाज का रिकार्ड उत्पादन होने की संभावना है। गत दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा था कि देश में गेहूं और दालों का उत्पादन इस बार 232.07 मीट्रिक टन होने का अनुमान है। इसमें से 81.47 मीट्रिक टन गेहूं और 16.51 मीट्रिक टन दालें होंगी। यह उत्पादन पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 6 प्रतिशत ज्यादा होगा|

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