Monday, March 7, 2011

कृषि वैज्ञानिकों की पहल से दिल्ली में सब्ज बाग


दिल्ली-एनसीआर की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर अब एनसीआर में ही अनोखा खाद्य बैंक विकसित किया जा रहा है। एनसीआर के चार गांवों को गोद लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के विज्ञानियों ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि छह महीने में इस योजना के नतीजे सामने होंगे और दो से तीन सालों में दिल्ली-एनसीआर में अनाज और सब्जियों का खुद का खाद्य बैंक तैयार हो जाएगा। इस स्थिति में अन्य राज्यों पर निर्भरता भी कम हो जाएगी। संस्थान ने सोनीपत के पबसरा, गुड़गांव के कुंबावास, फरीदाबाद के बदरपुर सईद एवं गाजियाबाद के परतापुर गांव को गोद लिया है। इन सभी गांवों का चयन करते हुए दो बातों का खासतौर पर ध्यान रखा गया कि एक तो अगले कम से कम पांच साल तक यहां जमीन का अधिग्रहण न हो, दूसरे वहां सिंचाई की व्यवस्था भी ठीकठाक हो तथा किसान भी पूर्ण सहयोग के लिए तैयार हों। संस्थान के निदेशक हरि शंकर गुप्ता बताते हैं कि कई माह से अंडर प्रोसेस इस योजना के तहत पहले चरण में गेहूं व कुछ मौसमी सब्जियां उगाई गई हैं। इसके अतिरिक्त यहां किसानों को कम पानी में अधिक सिंचाई व नई-नई कृषि तकनीकों का ज्ञान भी दिया जा रहा है। जल्द ही यहां सभी सब्जियों सहित फूलों की खेती भी शुरू कर दी जाएगी। गुप्ता के मुताबिक फिलहाल यहां जो फसल बोई गई है वह छह माह में तैयार हो जाएगी। गुप्ता ने बताया कि इन गांवों की एक खासियत इनका चारों दिशाओं में हाईवे के समीप होना भी है। इससे हम इन्हें देशभर के किसानों के लिए मॉडल विलेज के रूप में दर्शा पाएंगे। हमारी योजना आगे चलकर देश के तकरीबन एक सौ गांवों को इसी तर्ज पर विकसित करने की है। उन्होंने बताया कि ये चारों गांव इतनी सब्जियां और अनाज की पैदावार नहीं कर पाएंगे कि दिल्ली-एनसीआर की सभी जरूरतें पूरी हो जाएं, लेकिन अन्य राज्यों पर निर्भरता अवश्य कम हो जाएगी। इन गांवों में उपजा अनाज और सब्जियां उन्नत तकनीकों से उपजा होने के कारण स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होंगी।


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