Tuesday, March 1, 2011

सूखे बुंदेलखंड की प्यास बुझाएंगे कृत्रिम बादल


उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदलखंड इलाके में खेतों के लिये पलेवा की जरूरत है तो चार ही दिन में आसमान से पानी की बूंदें गिरने लगे तो कैसा लगेगा। भले ही यह देखने में एक लुभावना सपना हो पर अगर सब कुछ सही रहा तो इलाके में जल्द ही कृत्रिम बारिश के जरिए यह यथार्थ में तब्दील होगा। अन्नदाताओं के साथ प्यासों को पानी देने की मुहिम आगे बढ़ाने का काम चित्रकूट जिले के जिलाधिकारी डीके गुप्ता ने एक बार किया है। उनका कहना है कि अगर सब कुछ सही रहा तो अप्रैल के महीने की शुरूआत में इंद्र देव की इच्छा के विपरीत चित्रकूट जिले के बादल पानी बरसायेंगे। गुप्ता ने बताया कि जब वे वर्ष 2008 में लखनऊ में कृषि निदेशालय में थे तो उन्होंने बुंदेलखंड के सभी जिलों में कृत्रिम वर्षा करवाने का प्रोजेक्ट बनाया था। इसके लिये विशेष सचिव कृषि से बात कर अध्ययन के लिये झांसी स्थित भारतीय चारागाह अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक, झांसी के संयुक्त कृषि निदेशक और मौसम विज्ञान अमौसी लखनऊ का एक दल भेजा गया था। पूरी रिपोर्ट तैयार होने के बाद प्रति जिले में बरसात करवाने के लिये पच्चीस करोड़ रुपयों के खर्च होने का प्रस्ताव बना और बुंदेलखंड के सातों जिलों में कृत्रिम बरसात कराने का निर्णय भी हो गया, लेकिन जून के प्रथम सप्ताह में आशा के विपरीत बरसात होने से यह प्रस्ताव स्थगित कर दिया गया। उन्होंने बताया कि जहां हर जिले में सिंचाई, पेयजल के लिये हर साल काफी लम्बा चौड़ा बजट आता है। अगर एक बार कृत्रिम बरसात करवा दी जाये तो करोड़ों का डीजल व बिजली का खर्च बच सकता है। उन्होंने कहा, यह नई चीज नही है। अमेरिका, चीन में तो हमेशा ही ऐसा किया जाता है। हैदराबाद में भी कई बार कृत्रिम बरसात करवाई जा चुकी है। उन्होंने बताया कि अब उन्होंने फिर से उस प्रस्ताव पर पहल शुरु कर दी है। मुख्य सचिव से बात भी हो रही है उम्मीद जताई कि जल्द ही इस प्रस्ताव को सरकार से हरी झंडी मिल जायेगी। कैसे होती है कृत्रिम बारिश : हाइड्रोजन और कार्बन के मिश्रण से पानी बनता है। मानव हो या पशु पक्षी सभी के सांस लेने के कारण कार्बन डाइआक्साइड वायु मंडल पर बादलों के रूप में जमा रहती है। इसमें हवाई जहाज द्वारा नाइट्रेड की सीडिंग कर दी जाती है, जिससे बादल पानी की वर्षा कर देते हैं। सीडिंग करने के कुछ घंटों के अंदर पानी बरस जाता है|

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