Sunday, April 10, 2011

युवाओं को खेती से जोड़े रखना चुनौती


युवाओं के खेती से मुंह मोड़ने पर मशहूर कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि नीति निर्माताओं को इस ओर विशेष ध्यान देने के साथ ऐसी प्रौद्योगिकी विकसित करने पर जोर देना चाहिए जिससे संसाधनों का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करते हुए किसानों की आय बढ़ाई जा सके। खाद्य सुरक्षा पर एक पैनल वार्ता में स्वामीनाथन ने कहा कि नीति निर्माताओं के समक्ष प्रमुख चुनौती कृषि में युवाओं को बनाए रखने की है। अनिश्चित आय के कारण इस क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं में दूसरे रोजगार को अपनाने का अधिक झुकाव है। देश की आबादी तेज गति से बढ़ रही है। खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की आय को बढ़ाना मुश्किलों से भरा काम है। उन्होंने कहा कि वक्त की मांग है कि उत्पादन को बढ़ाने से संबंधित अद्यतन प्रौद्योगिकी को सामने लाया जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि यह प्रौद्योगिकी कम से कम संसाधनों का उपयोग करे। भारत में हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन ने ऐसी प्रौद्योगिकी को विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया जो किसानों के अनुकूल हो। उनका समर्थन करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के उप महानिदेशक स्वप्न कुमार दत्ता ने कहा कि हम संकर प्रौद्योगिकी को नजरअंदाज नहीं कर सकते, लेकिन हमें उपभोक्ताओं, किसानों और पर्यावरण के संदर्भ में निर्णायक सुरक्षा पहलुओं के बारे में सोचना होगा। स्वामीनाथन ने कहा कि प्रौद्योगिकी नियामक प्रणाली को जनता में विश्वास निर्मित करना होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें जल्द ही राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी नियामक प्राधिकरण (एनबीआरए) की जरूरत है। अमेरिका में भी ऐसी एजेंसियां हैं जो खाद्य एवं कृषि जैव प्रौद्योगिकी के मामलों को देखती हैं। वर्ष 2004 में भी स्वामीनाथन ने जैव प्रौद्योगिकी पर एक स्वायत्त, सांविधिक और पेशेवरों की अगुवाई वाले नियामक संस्था की स्थापना की सिफारिश की थी|

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