Thursday, April 7, 2011

पानी की कमी नहीं सुखाएगी फसलें!


अब कम पानी वाले इलाकों में भी बहुत आसानी से खेती की जा सकती है। पानी की कमी से फसलें भी नहीं सूखेंगी। जी हां, यह सच है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के विज्ञानियों ऐसा पॉलीमर तैयार किया है जिसके ग्रेन्यूल अपने वजन से करीब 400 गुणा तक पानी सोख लेते हैं और बाद में जरूरत के मुताबिक खुद ब खुद डिस्चार्ज करते रहते हैं। खास बात यह भी कि इस पॉलीमर के परिणाम भी काफी सकारात्मक आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक संस्थान के रसायन विभाग के डॉ. बी. एस. परमार और डॉ. अनुपमा सिंह की अगुवाई में कृषि विज्ञानियों ने पांच छह वर्ष की कोशिशों के बाद हाइड्रोजल नाम का पॉलीमर तैयार किया है। ग्रेन्यूल रूप में उपलब्ध ये पॉलीमर पानी की कमी दूर करने और पानी की बचत करने.. दोनों में ही समान रूप से उपयोगी है। यह पॉलीमर किसानों को उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी संस्थान ने दो निजी कंपनियों को सौंपी है। दैनिक जागरण से बातचीत में रसायन विभाग के अध्यक्ष डा. वी.टी. गजभई बताते हैं कि इस पॉलीमर के ग्रेन्यूल बुआई के वक्त बीजों के आसपास डाल दिए जाते हैं। जैसे-जैसे फसल बढ़नी शुरू होती है, यह ग्रेन्यूल भी अपनी जगह और पकड़ मजबूत करते जाते हैं। तत्पश्चात जब भी फसल की सिंचाई की जाती है, यह ग्रेन्यूल अपने वजन की तुलना में 350 से 400 गुणा तक पानी सोख लेते हैं। बाद में जब सिंचाई न भी की जा रही हो, फसल में जरूरत के अनुरूप पानी डिस्चार्ज करते रहते हैं। मतलब, जिन राज्यों में पानी की कमी है, वहां भी खेती के लिए ये हाइड्रो जल वरदान की तरह है तो पानी की बचत करने के लिए भी इनका खासा महत्व है। जो पानी सूरज की किरणें सोख लेती हैं, उसी को यह ग्रेन्यूल सोखते हैं एवं बाद में धीरे धीरे लौटाते रहते हैं। डॉ. गजभई के मुताबिक एक एकड़ फसल के लिए महज एक किलोग्राम हाइड्रोजल के ग्रेन्यूल पर्याप्त रहते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पानी की बचत के साथ साथ हाइड्रोजल के और भी विभिन्न रूपों में सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। मसलन, गेहूं की फसल में बालियां एवं दाने दोनों को आकार बढ़ रहा है तो फसल खराब भी नहीं के बराबर हो रही है। कहने का मतलब यह कि हाइड्रोजल उन कृषि राज्यों के लिए तो उपयोगी है ही जो सिंचाई केलिए आमतौर पर बारिश पर निर्भर रहते हैं, जिन राज्यों में सिंचाई के साधन अपेक्षाकृत सीमित हैं, वहां भी इन की उपयोगिता स्वत: ही बढ़ जाती है|

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