Monday, April 25, 2011

नागपुरी संतरे पर मौसम की मार, पैदावार में आ सकती है कमी


दुनिया भर में अपने अलग स्वाद के लिए पहचाने जाने वाले नागपुर संतरे को इस बार गर्मी और बेमौसम ओलावृष्टि के कारण करीब 15 प्रतिशत तक नुकसान झेलना पड़ सकता है। नेशनल रिसर्च सेन्टर फार साइट्रस (एनआरसीसी) के निदेशक वीजे शिवंकर ने फोन पर बताया, 'मार्च में बढ़ती गर्मी और बेमौसम की ओलावृष्टि से नागपुर और उसके इर्द गिर्द करीब 15 प्रतिशत संतरे की फसल को नुकसान पहुंचा है। एनआरसीसी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की ही एक सहयोगी संस्था है। ओलावृष्टि से फूल झड़ गए और फलों पर काले धब्बे बन गए। शिवंकर ने आगे कहा कि अगर अब भी जरूरी एहतियाती कदम एक सप्ताह के भीतर नहीं उठाए गए तो फलों को और नुकसान पहुंच सकता है। महाराष्ट्र में नागपुर के इर्द गिर्द खट्टे स्वाद वाले फलों नींबू, मौसमी और संतरों को करीब 1.5 लाख हेक्टेयर में उगाया जाता है। नागपुर को महाराष्ट्र की दूसरी राजधानी के तौर पर जाना जाता है। इस क्षेत्र में संतरे का औसत उत्पादन मौजूदा समय में करीब 10 टन प्रति हेक्टेयर है जो अमेरिका, ब्राजील, इसाइल, स्पेन और दक्षिण अफ्रीका के मुकाबले काफी कम है। संतरे की 'अंबिया बहार' किस्म को इस क्षेत्र में साल के इन्हीं दिनों में उगाया जाता है। इस किस्म के पौधों में फूल फरवरी में आने शुरू होते हैं और अप्रैल के बाद से फल आना शुरू होते हैं। इनको तोड़ने का काम सितम्बर महीने के आसपास शुरू होता है। शिवंकर ने कहा कि विदर्भ के तीखे स्वाद वाले फलों के उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में आम दिनों के विपरीत मार्च के महीने में ही तापमान बढ़कर 40 डिग्री सेल्सियस हो गया। उन्होंने कहा कि यह रुख जल्द ही गर्मी के और बढ़ने का संकेत हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा वैश्विक तापमान के बढ़ने से भी साइट्रस फलों का उत्पादन इस क्षेत्र में प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में भूजल स्तर के घटने के कारण भी कई साइट्रस फलों के बागान सूख गए हैं। शिवंकर ने कहा कि इस क्षेत्र में उत्पादन की प्रक्रि या के मशीनीकरण के जरिये उत्पादकता बढ़ाकर 15 टन प्रति हेक्टेयर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। नागपुर के संतरों की घरेलू बाजार में काफी पकड़ है।


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