Tuesday, December 28, 2010

सिंचाई मद में झारखंड को 600 करोड़ का तोहफा

सूखे और अकाल से जूझते झारखंड को केंद्र सरकार से 600 करोड़ रुपये का तोहफा मिला है। यह राशि एक्सीलरेटेड इरिगेशन बेनीफिट प्रोग्राम (एआइबीपी) के तहत योजना आयोग से स्वीकृत हो चुकी है। राज्य अलग होने के बाद यह पहला मौका है जब सूबे के लिए छह गुना अधिक राशि स्वीकृत की गई है। इस मद में झारखंड को अब तक सौ करोड़ रुपये का हिस्सा मिलता रहा है। उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो ने जल संसाधन विभाग का प्रस्ताव योजना आयोग के समक्ष रखा था, जिस पर फिलहाल नया तोहफा मिल गया है। जिन तीन राज्यों का गठन दस साल पहले हुआ था, उसमें पड़ोसी छत्तीसगढ़ को इस मद में 300 करोड़ रुपये मिले हैं। सिंचाई योजनाओं के संबंध में पूछे जाने पर सुदेश ने बताया कि पिछली सरकार में पंचपरगना के लिए योजनाएं स्वीकृत की गई थीं। उसे कार्यान्वित करते हुए सूबे की छोटी सिंचाई योजनाओं को अविलंब जमीनी रूप देने का निर्देश दिया है, ताकि आने वाले खेती के समय इसका लाभ किसानों को मिल सके। जो बड़ी योजनाएं लंबित हैं, उसके कार्य में तेजी लाई जा रही है और उम्मीद है यह योजनाएं अपने निर्धारित समय पर पूरी हो जाएंगी। इसमें महत्वाकांक्षी सुवर्णरेखा और पुनासी जलाशय योजनाएं भी शामिल हैं। लिफ्ट और माइक्रोलिफ्ट इरिगेशन प्राथमिकता सूची में है और किसानों की यह मांग भी है। वे खुद इलाकों का भौतिक निरीक्षण कर रहे हैं। दरअसल, कृषि विकास के लक्ष्य को पाने के लिए सिंचाई को सुदृढ़ करना सरकार की प्राथमिकता भी है और इसी अनुरूप योजनाओं की मॉनिटरिंग हो रही है। किसानों के हितों को देखते हुए सिंचाई सरकार की प्राथमिकता रही है।

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