Tuesday, December 21, 2010

यूपी में फेल खाद्य नमूने केंद्र की लैब में पास

 खाद्य पदार्थ में मिलावट की परतें उधेड़ने वाली परीक्षण रिपोर्ट में भी मिलावट होने लगी है। लखनऊ की फूड लेबोरेट्री ने जिन नमूनों को फेल साबित किया, उनमें 11 को मैसूर की सेंट्रल फूड लेबोरेट्री ने पास कर दिया। हाल में आई तीन रिपोर्टो में तो जहरीले खाद्य पदार्थो को भी खाने योग्य ठहरा कर आरोपियों को बरी होने का हथियार दे दिया। खाद्य एवं औषधि विभाग (एफडीए) द्वारा आगरा मंडल में मिलावट के संदेह पर भरे जाने वाले खाद्य पदार्थो के नमूनों को जांच के लिए लखनऊ की राजकीय जन विश्लेषक लैब और मेरठ की संभागीय जन विश्लेषक लैब में भेजा जाता है। खाद्य अपमिश्रण अधिनियम में बदलाव के तहत खाद्य पदार्थ बेचने वाला अगर स्टेट लेबोरेट्री की जांच से संतुष्ट नहीं है, तो कोर्ट की अनुमति पर उन नमूनों की पुन: जांच मैसूर की सेंट्रल फूड लेबोरेट्री से कराए जाने का प्रावधान है। विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक, 2007 से लेकर अब तक जिले में भरे जाने वाले नमूनों में से 600 से अधिक फेल पाए गए। इनमें से 88 नमूनों को कोर्ट के आदेश पर पुन: जांच के लिए मैसूर की सेंट्रल लैब भेजा गया। इनमे से 11 नमूनों को उसने पास कर दिया है। हाल में भी ऐसी तीन रिपोर्टे आई हैं। इनके सहारे आरोपी कोर्ट से बरी भी हो चुके हैं। फार्म-6 से शुरू होता है खेल : मिलावटखोरों को संरक्षण देने का खेल फार्म-6 की कार्रवाई से ही शुरू हो जाता है। नियमानुसार हर नमूना भरने की कार्रवाई में इंस्पेक्टर द्वारा खाद्य पदार्थ विक्रेता को फार्म-6 की एक प्रति भरकर देनी होती है, मगर आधे से अधिक नमूनों की कार्रवाई में फार्म-6 पार्टी को नहीं दिया जाता। इसके बाद अगर नमूना फेल आता है तो धन उगाही के सहारे फार्म-6 पर अन्य किसी का नाम दर्ज कर केस फाइल करा दिया जाता है और बाद में उसे खत्म भी करा दिया जाता है।

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