Sunday, December 26, 2010

हरियाणा ने खोजीं तीन फसलों की चार नयी किस्म

बीस करोड़ का बैंगन, चौंकिए मत, यह सच्चाई है। बैंगन की नई किस्म को हासिल करने के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को बीस करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि खर्च करनी पड़ी है। यहीं नहीं अगर शोध में जुटे वैज्ञानिक व इसके लिए तैनात अधिकारियों के वेतन व उन्हें मिलने वाली सुविधाओं का खर्चा भी इसमें जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा 30 करोड़ से अधिक पर आता है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने इस वर्ष कृषि क्षेत्र में किए गए गहन शोध के बाद तीन फसलों की चार नई किस्में इजाद की हैं। इसमें गेहूं की दो किस्में एक ब्रेड के लिए दूसरी चपाती के लिए, लहसुन की 17-व्हाइट बर्ल व लांग ब्रिंजल की एचएलबी-25 यानी बैंगन शामिल हैं। शोध के लिए विवि को मिलने वाले कुल बजट का लगभग 38 प्रतिशत बजट खर्च किया जाता है जो लगभग 80 करोड़ रुपये बैठता है। चालू वित्त वर्ष विवि को करीब दो सौ करोड़ रुपये का बजट प्राप्त हुआ है। इसमें अखिल भारतीय कृषि परिषद, राष्ट्रीय किसान विज्ञान योजना व प्रदेश सरकार की ओर से आई राशि शामिल है। वहीं अगर शोध निदेशालय के चार और नई किस्में जल्द ही विकसित करने के दावे को मान भी लिया जाए तो बैंगन के शोध पर खर्च हुई राशि कम होती दिखाई नहीं दे रही है। 200 वैज्ञानिक 12 अधिकारी : विवि ने शोध कार्यो के लिए शोध निदेशालय की स्थापना की है, जिसमें निदेशक के साथ-साथ करीब 11 अन्य अधिकारियों को तैनात किया हुआ है। कृषि महाविद्यालय में लगभग 200 कृषि वैज्ञानिक शोध के लिए जी तोड़ मेहनत करने का दावा करते रहते हैं। इन वैज्ञानिकों व अधिकारियों के मातहत काम करने वाले गैर शिक्षक कर्मचारियों की भी लंबी-चौड़ी फौज है।


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