Saturday, December 25, 2010

फसलों की होगी डिजिटल मैपिंग

प्याज संकट के बाद सरकार चेती
फसल के नुकसान का हो सकेगा आकलन कृषि मंत्रालय ने इस दिशा में शुरू की तैयारी
नई दिल्ली। प्याज जैसा संकट किसी और फसल के लिए न हो, इसके लिए कृषि मंत्रालय अब फसलों के खराब होने का आकलन डिजिटल मैपिंग से कराएगा। मंत्रालय इसके लिए तैयारी कर रहा है ताकि फसलों के खराब होने की जानकारी लगातार डिजिटल मैपिंग से हो सके। इस संबंध में एक सूत्र का कहना है कि सेटेलाइट से मिलनेवाली डिजिटल मैपिंग में एग्रीकल्चर के लिए अलग से अध्ययन की व्यवस्था की जाएगी ताकि राज्यवार इस बात की देखरेख की जा सके कि फसल कहीं खराब तो नहीं हो रही। अभी तक सरकार के पास जल की उपलब्धतता और वन स्थिति की देखरेख के अध्ययन की व्यवस्था थी, लेकिन सरकार अब एग्रीकल्चर इनपुट के लिए भी गौर करेगी। सूत्र का कहना है कि पश्चिम बंगाल के गांव अरापांच में खेती की स्थिति और फसल को लेकर डिजिटल मैपिंग अध्ययन कराया गया था जिसे नेशनल ब्यूरो आफ साइल सव्रे एंड लैंड यूज प्लानिंग ने पूरा कराया। अब तक सरकार ने सेटेलाइट आईआरएस-आई डी से मिलनेवाली फोटो से जमीन की स्थिति और फर्टिलाइजर्स उपयोग पर ही काम किया है। नेशनल ब्यूरो आफ सोइल सव्रे एंड लैंड यूज प्लानिंग द्वारा नागपुर में भी इसी पर काम हो रहा है, लेकिन अभी तक फसल की उपलब्धतता कैसी है और फसल कहां खराब हो रही है इसके अध्ययन पर काम नहीं हो रहा था, इसलिए सरकार ने अब प्याज-जैसे संकट से बचने के लिए फसल उत्पादन के आंकड़े जुटाने के लिए भी कहा है। बहरहाल, रिमोट सेंसिंग एंड जीआईएस की टेक्निक से हाल में सारे राज्यों की मिट्टी की मैपिंग हुई है और साल्ट प्रभावित क्षेत्रों की मैपिंग पूरी हो चुकी है। कृषि मंत्रालय ने देश के राज्यों के कई गांवों और शहरों में अलग-अलग मैपिंग के माध्यम से आंकड़े जुटाए हैं जिनको काफी लाभकारी माना जा रहा है। सूत्र का कहना है कि अब यह आसान हो जाएगा और फसल खराब होने का अंदाजा भी आसानी से लगाया जा सकेगा।

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