Sunday, December 26, 2010

अधिक खर्च के बाद भी कम हुआ फसलों का उत्पादन

लखनऊ, भूमि संरक्षण के जरिए उत्पादन बढ़ाने के लिए उस पर खर्च किए गए 16 अरब रुपये भी फसलों के लिए खाद का काम नहीं कर सके। उत्तर प्रदेश में वर्षो तक कृषि विभाग के बजट का आधा हिस्सा भूमि संरक्षण पर खर्च होता रहा बावजूद इसके तमाम फसलों का उत्पादन घट गया है। पिछले पांच साल में गेहूं के उत्पादन में वृद्धि के कारण प्रदेश रोटी में तो आगे हो गया लेकिन चावल खदबदाता रहा और दाल तो और भी पतली होती रही। 2005-06 में कृषि विभाग की योजनाओं के कुल खर्च 260.28 करोड़ में 114.78 करोड़ रुपया यानी कुल बजट की करीब 44 फीसदी राशि भूमि संरक्षण पर खर्च की गई। 2006-07 में विभाग के कुल खर्च 346.49 करोड़ में 184.17 करोड़ यानी 53 फीसदी राशि, 2007-08 में योजनाओं पर खर्च होने वाले 752.22 करोड़ में 418.75 करोड़ यानी 55 फीसदी राशि, 2008-09 में बजट का 43 फीसदी हिस्सा तथा 2009-10 में बजट का 40 फीसदी हिस्सा भूमि संरक्षण पर खर्च किया गया। केंद्र की दो बड़ी योजनाओं, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने को पिछले 3 वर्र्षो में केंद्र सरकार ने 12 अरब रुपये दिए हैं। शासन में उपलब्ध 2005-06 और वर्ष 2009-10 में अनाज उत्पादन के आंकड़े भी गेहूं के उत्पादन में वृद्धि और चावल व दालों के उत्पादन में कमी को दर्शाते हैं। 2005-06 में प्रदेश में गेहूं का उत्पादन 240.90 लाख मीट्रिक टन था जो 2009-10 में बढ़कर 275.18 लाख मीट्रिक टन हो गया। 2005-06 में धान उत्पादन से 117.07 लाख मीट्रिक टन चावल बना लेकिन 2009-10 में उत्पादन घटने से 10 लाख मीट्रिक टन चावल कम हो गया। मक्का का उत्पादन 10.58 लाख मीट्रिक टन से 9.82 लाख मीट्रिक टन, चना का उत्पादन 5.94 लाख मीट्रिक टन से 5.09 लाख मीट्रिक टन, मटर का उत्पादन 5.40 लाख मीट्रिक टन से 4 लाख मीट्रिक टन रह गया। 2005-06 में प्रदेश में 3.87 लाख मीट्रिक टन अरहर का उत्पादन था लेकिन 2009-10 में यह घटकर 2.02 लाख मीट्रिक टन ही रह गया है।

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