Friday, February 4, 2011

भारत के 98 फीसदी किसान चाहते हैं जैविक खाद


गैर-सरकारी संगठन ग्रीनपीस के एक सव्रेक्षण के अनुसार देश के 98 फीसदी किसान जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहते हैं और सरकार की ओर से भारी सब्सिडी होने के बावजूद रासायनिक उर्वरकों की कीमत को 94 फीसदी किसान वहन करने योग्य नहीं हो पाते। किसानों की दशा पर आधारित फिल्म पीपली लाइव की निर्देशक अनुषा रिजवी की अगुवाई में ग्रीनपीस ने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को मिट्टी के क्षरण के संबंध में अपने इस सव्रेक्षण के आधार पर कुछ सिफारिशें भेजी हैं और आगामी बजट में जैविक उर्वरकों के लिए सब्सिडी बढ़ाने की मांग की है। अनुषा ने यहां ग्रीनपीस की लाइव सॉइल रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि सरकार को कार्बनिक उर्वरकों पर दी जाने वाली सब्सिडी बढ़ानी चाहिए और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने के कदम उठाने चाहिए। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि रासायनिक उर्वरकों के चलते मिट्टी की गुणवत्ता कम होने के वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार इस तरह की खाद के लिए हजारों करोड़ रुपए की सब्सिडी दे रही है। अनुषा ने कहा कि वर्ष 2008-09 में रासायनिक उर्वरकों के लिए सरकार ने एक लाख करोड़ और वर्ष 2009-10 में 50,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी, जबकि इसकी तुलना में पिछले बजट में कार्बनिक उर्वरकों के लिए सिर्फ पांच हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई। उन्होंने कहा कि इस अध्ययन से कुछ चौंका देने वाले आंकड़े सामने आए हैं। 98 फीसदी किसान जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहते हैं और सरकार की ओर से भारी सब्सिडी के बावजूद रासायनिक उर्वरकों को 94 फीसदी किसान वहन करने योग्य नहीं पाते। ग्रीनपीस के अभियान प्रमुख गोपी कृष्णन ने कहा कि यह सव्रेक्षण असम, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब के प्रभावित जिलों में किया गया और इसमें करीब दो हजार किसानों से बातचीत कर खेती के बारे में उनके अनुभव जाने गए।


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