Thursday, February 3, 2011

कृषि क्षेत्र को नहीं चाहिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश


अमेरिका भले ही भारत पर कृषि क्षेत्र को विदेशी कंपनियों के लिए खोलने का दबाव बना रहा हो मगर सरकार ने इसे न खोलने की मंशा स्पष्ट कर दी है। कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि देश में ज्यादातर किसानों के पास छोटी जोत वाले खेत हैं। ऐसे में कृषि क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में एफडीआइ का स्वागत किया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) की वार्षिक आम बैठक में बुधवार को पवार ने कहा कि देश के 82-86 प्रतिशत ऐसे किसान हैं जिनके पास दो हेक्टेयर से कम की खेती लायक जमीन है। इसे देखते हुए कृषि क्षेत्र को विदेशी कंपनियों के लिए खोलने को प्रोत्साहित करने की जरूरत नहीं है। हां, कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र में विदेशी निवेश की बात को समझी जा सकती है। हम शीत भंडार श्रृंखला और कृषि प्रसंस्करण इकाइयों में एफडीआइ का स्वागत करेंगे, लेकिन खेती में नहीं। देश का उद्योग जगत भी सरकार से लगातार कृषि क्षेत्र को खोलने की मांग करता रहा है। पवार के इस बयान से उन्हें झटका लगेगा। मौजूदा रबी फसलों की संभावना के बारे में उन्होंने कहा कि अभी तक स्थिति काफी उत्साहव‌र्द्धक है। गेहूं, दलहन और गन्ने का भारी उत्पादन होगा। गेहूं खेती का रकबा पिछले साल से ज्यादा है। पिछले साल इसका रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था। इस वर्ष उत्पादन पिछले साल से भी बेहतर रहेगा। सरकार ने 2010-11 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में 8.2 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा। उन्होंने कहा कि लक्ष्य प्राप्ति में कोई समस्या नहीं होगी। पवार ने कहा कि इस साल एक और उपलब्धि यह है कि दलहन खेती का रकबा भी पर्याप्त बढ़ा है। गन्ने के रकबे में भी वृद्धि हुई है। हमें इस साल भी बेहतर गन्ना फसल होने की उम्मीद है। आइसीएआर की 82वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए पवार ने कहा कि खाद्य उत्पादन, कुपोषण, गरीबी, जनसंख्या वृद्धि और पर्यावरण की स्थिति मौजूदा समय में गंभीर हुई है। हालांकि राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली अपनी उन्नत प्रौद्योगिकियों के जरिए इन चुनौतियों का सामना करने का भरोसा देती है। उन्होंने कृषि उत्पादन और किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि अनुसंधान को तेज करने का आह्वान किया। फसल उत्पादन और उत्पादकता में सुधार लाने के संस्थान के प्रयासों की पवार ने सराहना की। कृषि मंत्री ने कहा कि यहां विकसित विभिन्न फसलों की 52 उन्नत एवं संकर किस्मों और विभिन्न फसलों के 30,000 टन बेहतर बीजों का इस्तेमाल कर विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में कृषि पैदावार बढ़ाने में बड़ी मदद मिलेगी। जैविक और गैर जैविक दबाव से निपटने के लिए उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को झेलने में सक्षम कृषि संबंधी राष्ट्रीय पहल की सराहना की। केंद्रीय मानव संसाधन विकास और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने इस मौके पर कृषि क्षेत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अधिक इस्तेमाल पर जोर दिया, ताकि बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा किया जा सके।


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