Friday, February 11, 2011

फसलें भी होने लगीं कुपोषित


न संतुलित और पौष्टिक खुराक और न समुचित देखभाल। नतीजा, फसलें भी कुपोषण का शिकार हो रही हैं। मौसम का मिजाज बिगड़ते ही सरसों और गेंहू के पौधे कुबड़े होने लगे हैं। एक ही खेत में पौधों की अलग-अलग शक्ल देख किसान परेशान हैं। उपजाऊ भूमि के परीक्षण की रिपोर्टो से जाहिर है कि मृदा में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का अनुपातिक संतुलन बिगड़ गया है। जहरीले कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से पौधे और फलों के दुश्मन कीटों के साथ-साथ मित्र कीट भी मर रहे हैं। लिहाजा पौधों को पूरे पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं। जनवरी के अंतिम सप्ताह से तापमान बढ़ा। इसका असर पौधों पर पड़ा। भरपूर खुराक न मिलने से पौधे मौसम के उतार-चढ़ाव से नहीं लड़ सके। हालात ये है कि एक ही खेत में सरसों के कुछ पौधे पक गए तो कुछ पकने की स्थिति में हैं और कुछ पर अभी फूल निकल रहा है। गेहूं में भी यही स्थिति है। कुछ पौधे छोटे तो कुछ बढ़ गए हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ.संतोष कुमार मिश्रा और उप कृषि निदेशक अशोक कुमार तेवतिया ने हाल ही में फसलों का निरीक्षण किया। इसमें सरसों में सल्फर की कमी पाई गई। आशंका है सरसों में तेल की मात्रा कम होगी। गेहूं में बाली जल्दी निकलने से उसमें दूध सूखेगा और दाना हल्का रह जाएगा। जिला कृषि अधिकारी बलवीर सिंह कहते हैं कि इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा। मौसम गर्म होने से पौधों को भरपूर खुराक न मिलने से यह स्थिति पैदा हुई है। सब्जियों में भी बदलाव : सूक्ष्म तत्वों की कमी से आलू के फटने के साथ ही उस पर खुरखुरापन नजर आ रहा है। टमाटर सुर्ख लाल न होकर कहीं से लाल तो कहीं से हल्का पीला नजर आकर बदरंग हो गया है। गोभी के फूल फट रहे हैं और पत्ता गोभी शीर्ष पर हरी न होकर हल्की बैंगनी नजर आ रही है।


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