Thursday, February 3, 2011

पड़ोस में ही उगेगी शहरों के लिए साग-सब्जी


खाद्य वस्तुओं की महंगाई से लड़ने के लिए केंद्र सरकार ने क्षेत्रवार रणनीति बनाई है। इस रणनीति के सफल होने पर दिल्ली सहित अन्य महानगरों में हरी सब्जियों, फलों व अन्य सीजनल खाद्य उत्पादों की महंगाई से आम जनता को थोड़ी राहत मिल सकेगी। इसके तहत महानगरों के आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को भारी सब्सिडी देकर सीजनल कृषि उत्पादों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। कृषि मंत्रालय ने इसके लिए हैदराबाद और बेंगलूर में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसके नतीजे काफी उत्साहव‌र्द्धक रहे। इसी के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) समेत 10 लाख से अधिक आबादी वाले 35 शहरों के आसपास यह परियोजना लागू की जाएगी। इसके तहत शहरों से लगे ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जियों और मौसमी फलों की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। कृषि सचिव पीके. बसु ने बताया कि इस परियोजना के लिए सरकार किसानों को हाथ खोलकर वित्तीय व तकनीकी मदद मुहैया कराएगी। परियोजना के तहत मौसमी कृषि उत्पादों के लिए खेतों के समूह (क्लस्टर) विकसित किए जाएंगे, जहां ग्रीनहाउस बनाकर नियंत्रित वातावरण में हरी सब्जियों और अन्य उत्पादों की खेती की जाएगी। ऐसे उत्पादों के भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरेज श्रृंखला विकसित की जाएगी, ताकि नुकसान कम से कम हो सके। जरूरत पड़ने पर ऐसे क्षेत्रों में फूड पार्क भी बनाए जाएंगे। इसके लिए सरकार निजी कंपनियों को भी आगे आने के लिए बढ़ावा देगी। दरअसल, मेट्रो शहरों में बढ़ती आबादी को खाद्य उत्पादों में महंगाई के लिए काफी हद तक जिम्मेदार माना जा रहा है। एक सर्वेक्षण में पाया गया कि शहरी जीवन शैली में शाकाहार के प्रति लोगों की रुचि बढ़ी है। इससे हरी सब्जियों और सीजनल फलों की मांग में इजाफा हुआ है। कृषि सचिव के मुताबिक इस परियोजना के सफल होने पर शहरी आबादी को भी समुचित मूल्य पर ताजा सब्जियां और फल मुहैया हो सकेंगे। केंद्र इसके लिए राज्य सरकारों को आगे आने के लिए कहेगा, जिससे परियोजना पर जल्दी से जल्दी अमल हो। परियोजना के लिए वित्तीय मदद बागवानी मिशन समेत अन्य योजनाओं से दी जाएगी।


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