Sunday, February 20, 2011

गेहूं की फसल में कल्ले निकलने व गांठे बनते समय सिंचाई करें


कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को गेहूं की फसल में कल्ले निकलते समय दूसरी सिंचाई एवं गांठे बनते समय तीसरी सिंचाई करने की सलाह दी है। वैज्ञानिकों के अनुसार दोमट मिट्टी में विलम्ब से बुआई वाले क्षेत्नों में नत्नजन की एक चौथाई मात्रा सिंचाई के बाद ओट आने पर दें, हल्की बलुई दोमट मिट्टी में नत्नजन की शेष मात्ना का आधा भाग सिंचाई के बाद ओट आने पर दिया जाए।

फसल सतर्कता समूह के कृषि वौानिकों की सलाह के अनुसार गेहूं की फसल में यदि खपतवार निकाई, गुडाई से नियंत्नित न हो तो चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों जैसे बथुआ, सत्यानाशी, हिरनखुरी, कृष्णनील, गजरी, प्याजी तथा संकरी पत्ती जैसे गेहुआ व जंगली जई के नियंत्नण के लिए सल्फो सल्फ्यूरान 75 प्रतिशत, 32 मिली प्रति हेक्टेयर मेटा सल्फ्यूरान मिथाइल पांच प्रतिशत डब्लू, जी की 40 ग्राम प्रति हेक्टेयर 800 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से चपटे नाजिल वाले स्पेयर से बुआई के 30-35 दिन बाद छिड़काव करें। गेहूं में पूर्ण झुलसा का प्रकोप होने पर मैंकोजेब दो किग्रा प्रति हेक्टेयर या जिनेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर याथीरम 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 20 किग्रा. के साथ 20 किग्रा. यूरिया को प्रति हेक्टेयर मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.


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