Saturday, February 12, 2011

किसान हित में गुजरात की राह पर चलें राज्य


पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम ने शुक्रवार को यहां किसानों को हिंदी में संबोधित कर सबका दिल जीत लिया। मौका था किसान एवं ग्रामीण लघु उद्यमी सशक्तीकरण पर संगोष्ठी का। उन्होंने किसानों को गुजरात कहा उदाहरण देते हुए कहा, वहां किसानों के लिए अलग से बिजली की व्यवस्था है। सिंचाई के लिए भी उत्तम व्यवस्था है। इसीलिए बीस हजार हेक्टेयर जमीन जो बंजर हो चुकी थी उसे उपजाऊ बनाया गया। वहां कृषि एवं साइंस एक होकर काम कर रहे हैं। यही कारण है कि वहां वृद्धि दर नौ से दस प्रतिशत है, जबकि और प्रदेशों में दो से तीन प्रतिशत ही। माइक पकड़ते ही कलाम बोले, मैं हिंदी में बोलूंगा। किसानों से सीधा संवाद स्थापित करते हुए कहा, इस समय देश को जरूरत है दूसरी हरित क्रांति की। कलाम को हिंदी में बोलता देख किसानों के साथ-साथ मौके पर मौजूद अधिकारी भी आश्चर्यचकित थे। मिसाइल मैन ने कहा कि भारत गांवों का देश है। कृषि प्रमुख रोजगार है, इसलिए इसे सशक्त बनाने के लिए नयी तकनीकि का उपयोग करने की आवश्यकता है। जनसंख्या बढ़ रही है, इस नाते उपज को तीन गुना तक बढ़ाने की जरूरत है। आसमान छूने को तय करें लक्ष्य बच्चों व युवाओं के रोल मॉडल मिसाइल मैन डा.एपीजे अब्दुल कलाम शुक्रवार को राजकीय इंटर कालेज के शताब्दी समारोह में अलग अंदाज में नजर आए। मंच संभाला तो सीधे बच्चों से जुड़ गए। बोले आसमान छूना है तो लक्ष्य निर्धारित करो। फिर सफलता के सूत्र बताए और कहा कि लक्ष्य के साथ ही संपूर्ण ज्ञान, कड़ी मेहनत और जूझने की प्रवृत्ति जरूरी है। इससे कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। समारोह स्थल पर पहंुचते ही बड़ी संख्या में उपस्थित बच्चों ने तिरंगा लहरा कर उनका स्वागत किया। हाथ हिलाकर उन्होंने भी अभिवादन स्वीकार किया। बोले, शिक्षा ही जीवन है। मिशन एजूकेशन के तहत 11 मिलियन लोगों से मिल चुका हूं। मैंने उनकी उम्मीदों, अनुभवों को समझा है, जिसे यहां बांटना चाहूंगा। सबकी तरह बनना आसान है, लेकिन यूनिक बनना थोड़ा मुश्किल। उन्होंने समझाया, मन में दृढ़ निश्चय करो कि मैं घिसटने के लिए नहीं हूं। मेरे पास उड़ने और आसमान छूने का जज्बा है। मदुरई की एक घटना का जिक्र करते हुए कलाम ने कहा कि मै वहां हड्डी रोग डॉक्टर के यहां गया था। मेरे पास एक ड्राइवर आया। मैने उसे शिक्षा के लिए प्रेरित किया। बीस साल बाद मिला तो प्रोफेसर के रूप में। मुद्दा यह नहीं कि हम क्या हैं, बल्कि यह है हमें क्या बनना है।

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