Sunday, February 20, 2011

बदलते मौसम से गेहूं पर मंडराया रोगों का खतरा


उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में बारिश और तापमान में गिरावट से जहां रबी फसलों को होने वाले फायदे गिनाए जा रहे हैं, वहीं मौसम में नमी बढ़ने से गेहूं जैसी प्रमुख फसल के लिए कई तरह के रोगों का खतरा पैदा हो गया है। जबकि बदली छाये रहने से दलहन व तिलहन फसलों के प्रभावित होने की भी आशंका है। यही वजह है कि सरकारी तंत्र इन रोगों की रोकथाम के उपाय करने में जुट गया है। चालू रबी सीजन में 2.9 करोड़ हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई है, जो एक रिकॉर्ड है। फरवरी के दूसरे सप्ताह में बारिश होने के साथ ही तापमान सामान्य से दो से छह डिग्री सेंटीग्रेड नीचे पहुंच गया है। अचानक तापमान घटने से मौसम में नमी का स्तर बढ़ गया है। गेहूं अनुसंधान निदेशालय के निदेशक प्रोफेसर एसएस सिंह का कहना है कि अचानक बढ़ी नमी वाले इस मौसम में गेहूं की फसल में फफूंदी (फंगस) का प्रकोप होता है, जिससे रतुआ रोग के फैलने की आशंका है। रतुआ (रस्ट) पीला, भूरा व काला तीन तरह का होता है। इस समय पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में पीले रतुआ के फैलने की खबरें हैं। मगर यहां के किसान इस रोग से निपटने में माहिर हैं। कृषि वैज्ञानिक सिंह के मुताबिक रोग के लक्षण दिखने के साथ ही दवा का छिड़काव न करने पर फसल चौपट हो जाती है। दूसरी ओर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उप महानिदेशक डॉक्टर स्वपन के. दत्ता का भी कहना है इस बारिश का वैसे तो रबी सीजन की समूची फसल पर अच्छा असर होगा, लेकिन कुछ रोगों के प्रकोप का खतरा भी है। इसके लिए किसानों को सचेत किया जा रहा है। आईसीएआर ने रतुआ रोधी (रस्ट फ्री) गेहूं की कई प्रजातियां विकसित की हैं, लेकिन तीन सालों के बाद इन प्रजातियों पर भी रतुआ का प्रकोप होने लगता है। लिहाजा रतुआ के संबंध में किसानों को जागरूक बनाने के प्रयास शुरू कर दिये गये हैं। डॉक्टर दत्ता के मुताबिक उत्तरी राज्यों में बारिश व तापमान गिरने से गेहूं समेत सभी फसलों को फायदा हो रहा है। लेकिन दलहन व तिलहन की फसलों को बदली वाले मौसम में नुकसान होता है। मध्य प्रदेश और गुजरात में तो फसलें तैयार होने के करीब हैं। अगले 15 दिनों में वहां कटाई शुरू होने वाली है। जबकि बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में गेहूं की फसल के लिए बहुत अच्छा मौसम है। पंजाब में इस बार 35 लाख हेक्टेयर और हरियाणा में 24.68 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई है। इसे देखते हुए यहां रिकॉर्ड पैदावार का अनुमान लगाया गया है।


No comments:

Post a Comment