Sunday, January 23, 2011

सिंचाई व्यवस्था को दिशा देंगी आदिवासी महिलाएं


मनोज सिंह शुमाली, जमशेदपुर महिलाओं का खेत-खलिहान से नाता नया नहीं है। बात सर्द पानी में धान रोपने की हो या फिर फसल काटने की महिलाएं अपनी मेहनत का लोहा मनवा रहीं हैं। झारखंड सरकार अब सुखाड़ से जूझते जिलों में सिंचाई व्यवस्था की कमान अदिवासी महिलाओं को सौंपने जा रही है। इसकी शुरुआत जमशेदपुर से होने जा रही है। जिला प्रशासन ने महत्वपूर्ण योजना के तहत जिले में सिंचाई के लिए डीप बोरिंग की चाबी महिला स्वयं सहायता समूहों को सौंपने की तैयारी की है। यानी घर की रसोई संभालने वाली गांव की गरीब आदिवासी महिलाएं अब खेतों की सिंचाई को भी दिशा देंगी। महिलाएं अपने छोटे-छोटे सूखे खेतों की दशा सुधारने के साथ ही जरूरतमंद दूसरे लोगों को भी सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने में सक्षम होंगी। ऐसे में यह महिलाएं साज-सब्जी की खेती करके अपना और परिवार का भला कर सकेंगी और आत्मनिर्भर बनेंगी। इसके लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को डीप बोरिंग प्रोजेक्ट लगाकर दिया जाएगा। व्यवस्था इस तरह की होगी कि पानी को एक जगह टंकी में स्टोर करने के बाद पाइप के जरिए खेतों तक पहुंचाया जाएगा। इसके बाद इसे जरूरत के हिसाब से सिंचाई के काम में लाया जाएगा। किन फसलों की कितनी सिंचाई हो चुकी है और कितनी बाकी है इसका लेखा-जोखा महिलाएं ही रखेंगी। जिला ग्राम्य विकास प्राधिकरण (डीआरडीए) की निदेशक उमाशशि चटर्जी ने बताया कि जल्द ही अनुदान ऋण शिविर में इस योजना की शुरुआत कर दी जाएगी। पूर्वी सिंहभूम की उपायुक्त हिमानी पांडे ने कहा, गांव की बीपीएल परिवार की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस योजना की शुरुआत की जा रही है। इसमें आदिवासी समाज से जुड़ी उन गरीब महिलाओं का खास ध्यान में रखा गया है जो साग-सब्जी की खेती करके परिवार का पालन-पोषण करती हैं। इस योजना के सहारे वे ज्यादा कारगर ढंग से खुद को स्थापित कर सकेंगी।


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