Wednesday, January 19, 2011

यूपी में जैविक खेती पर जोर

उद्योग मंडल एसोचैम उत्तर प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य के पांच जिलों को गोद लेगा। इसके तहत किसानों और लघु एवं मझोले व्यवसायों को जैविक खेतीबाड़ी और इससे पैदा होने वाले कृषि उत्पादों के व्यवसाय में प्रशिक्षण और प्रोत्साहन देने के लिए 25 संकुलों का विकास करेगा। इसमें सरकार और निजी क्षेत्र की भागीदारी होगी। एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने बताया कि उत्तर प्रदेश में किसानों को आर्गेनिक खेती का प्रशिक्षण देने के लिए पांच जिलों के चयन के लिए उद्योग मंडल का एक प्रतिनिधिमंडल जल्दी ही मुख्यमंत्री मायावती से मुलाकात करेगा। रावत के मुताबिक इन जिलों के किसानों को तीन साल तक कार्बनिक खेती के प्रशिक्षण के साथ उन्हें वैश्विक एजेंसियों से प्रमाण-पत्र भी दिलवाया जाएगा। रावत ने दावा किया कि जैविक खेती और एसोचैम द्वारा उत्पादों के विपणन में सहायता देने से किसानों की आमदनी 200 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। उन्होंने बताया कि इन आर्गेनिक जिलों के नाम मुख्यमंत्री मायावती से चर्चा के बाद तय होंगे। एसोचैम महासचिव ने बताया कि विदेश में कार्बनिक खाद्य उत्पादों का विशाल बाजार होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में जैविक खेती का चलन लगभग नहीं के बराबर है। रावत ने यह भी बताया कि एसोचैम ने तीन साल के अंदर इस राज्य से एक हजार करोड़ रुपये के आर्गेनिक खाद्य पदार्थो के सालाना निर्यात का लक्ष्य तय किया है। रावत के अनुसार इस समय यूरोप और अमेरिका में जैविक विधि से उत्पादित खाद्य उत्पादों का बाजार दो लाख करोड़ रुपये का है। जबकि भारत से अभी ऐसे सिर्फ 450 करोड़ रुपये के उत्पादों का ही सालाना निर्यात किया जाता है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत क्लस्टरों का निर्माण किया जाएगा। एसोचैम सरकार से मूलभूत ढांचा उपलब्ध कराने का भी आग्रह करेगा। रावत ने बताया कि इन क्लस्टर में खाद्य प्रसंस्करण, चमड़ा उद्योग, बिजली के साधारण उपकरण और सिले कपड़ों की इकाइयां लगाई जाएंगी। इनसे करीब छह लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।

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