Thursday, January 13, 2011

लखनऊ में भी सुलग रहा है किसान आंदोलन

आगरा और टप्पल के बाद अब लखनऊ में भी किसान आंदोलन सुलगने लगा है। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) द्वारा 500 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किए जाने से खफा फैजुल्लागंज के घैला, दाऊद नगर, रहीमनगर डिडौली और गाजीपुर बलराम के किसानों ने संघर्ष का बिगुल बजा रखा है। 18 जनवरी को इलाहाबाद में किसान आंदोलन की जो रणनीति तय होगी, उसमें लखनऊ का भू-अधिग्रहण व किसान आंदोलन का मुद्दा अहम होगा। एलडीए ने 197 गांवों को अपनी सीमा में जोड़ा है। माना जा रहा है कि इन गांवों की जमीन पर भी प्राधिकरण की नजर रहेगी। गोमतीनगर फेस-दो में किसानों को हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी उचित मुआवजा नहीं मिल सका। 1.60 रुपये प्रति वर्गफीट की दर एलडीए ने तय की थी, जबकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद करीब 450 किसानों को दो रुपये प्रति फीट के हिसाब से मुआवजा मिलना बाकी है। आवास विकास परिषद के तहत 1981 में अधिग्रहीत तकरोही, मटियारी और हरदासी खेड़ा के किसानों के मुआवजे का मामला अभी तय नहीं हो पाया है। चिनहट के बाघामऊ और भरवारा के किसानों की जमीनों के कम दाम पर भी किसानों में नाराजगी है। हरदोई रोड के बसंतकुंज में 1981 में अधिग्रहीत 250 एकड़ भूमि की दरों को लेकर किसानों का आंदोलन समय-समय पर सड़कों पर दिखता है। भाकियू जिलाध्यक्ष हरनाम सिंह वर्मा का कहना है कि लखनऊ में 2687 एकड़ कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण की कार्यवाही चल रही है। सरकार की इस मंशा से नाराज किसान आंदोलन को तैयार हैं। 16 से 18 जनवरी के बीच इलाहाबाद में किसान आंदोलन को लेकर जो रणनीति तय होगी, उसमें लखनऊ का मुद्दा प्रमुख होगा। लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण (लीडा) में भी जिले के 49 गांवों की करीब दो हजार एकड़ भूमि के अधिग्रहण का मामला अभी शांत है लेकिन यह तेज हो सकता है।

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