Sunday, January 30, 2011

उर्वरता बचाने को हरियाणा ने मांगा विशेष पैकेज


घट रही खेती योग्य भूमि की उर्वरता और नीचे खिसकता जल स्तर हरियाणा की मुश्किलों का सबब बन गया है। फसलों की उत्पादकता घटने को लेकर हरियाणा के माथे पर बल पड़ने लगा है। हरियाणा ने केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से आगामी बजट में राज्य के कृषि क्षेत्र की इन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए विशेष पैकेज के प्रावधान की मांग की है। अगले वित्त वर्ष के आम बजट से कृषि क्षेत्र में सुधार को लेकर हरियाणा ने कई उम्मीदें लगा रखी हैं। इनमें भूमि संरक्षण और सिंचाई प्रमुख मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर राज्य की चिंताएं बढ़ गई हैं। उत्पादकता बढ़ाने के चक्कर में रासायनिक खादों का प्रयोग और सिंचाई के लिए भूजल का अंधाधुंध दोहन अब खतरनाक हद तक पहुंच गया है। वैज्ञानिकों ने जल संकट के लिए राज्य को पहले ही सतर्क कर दिया है। आने वाले सालों में फसलों की सिंचाई के लिए भारी संकट पैदा होने वाला है। इसी तरह जल और हवाओं से भूमि का क्षरण भी तेज गति से हो रहा है। हरियाणा ने प्रणब मुखर्जी को सौंपे ज्ञापन में राज्य के लिए खास पैकेज घोषित करने का अनुरोध किया है। हरियाणा को आशंका है कि इसके लिए खास प्रबंध करने में देरी खाद्यान्न की पैदावार के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। यह देश की खाद्यान्न सुरक्षा के लिए भी खतरा साबित होगी। राज्य में अब गेहूं व चावल के साथ मक्का और मोटे अनाज को भी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में शामिल किए जाने की जरूरत है। कृषि उत्पादकता की थम रही रफ्तार को गति प्रदान करने के लिए हरियाणा ने पशुधन विकास व दुग्ध उत्पादन बढ़ाने का सुझाव दिया है। हालांकि इसकी राह में पशुचारे की किल्लत बड़ी मुश्किल है। हरियाणा की ओर से इसके लिए जरूरी कदम उठाने की बात कही गई है।

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