Sunday, January 9, 2011

सिंगापुर को महकाएगी उत्तराखंड की तुलसी

उत्तराखंड के आंगन की तुलसी सिंगापुर को महकाने की तैयारी में है। यहां के किसानों ने बड़े पैमाने पर तुलसी की खेती करके विशेष चाय तैयार की है। इस चाय की चुस्कियां सिंगापुर के व्यवसायियों को काफी पसंद आई हैं। उन्होंने चाय की खरीद का बड़ा ऑर्डर दिया है। राज्य में तुलसी की खेती से जुड़े 300 कृषक विदेशी खिदमत में हाजिर होने को उत्साहित नजर आ रहे हैं। घर के खलियान से खेतों और फिर चाय के रूप में बाजार पहुंची तुलसी के पीछे रोचक कहानी छिपी है। चमोली जिले के घाट, कर्णप्रयाग और गैरसैंण के किसान इस बात से परेशान थे कि उनकी अधिकांश फसल बंदर व अन्य जानवर तबाह कर देते हैं। हिमालयन एक्शन रिसर्च सेंटर (हार्क) ने उन्हें तुलसी की खेती करने का उपाय सुझाया। साथ ही उन्हें तुलसी की चाय बनाने में तकनीकी मदद भी दी। आज यहां के 300 किसान परिवार करीब डेढ़ सौ बीघा भूमि पर तुलसी की खेती कर रहे हैं। हार्क की मदद से तुलसी की बूरे वाली चाय के साथ ही डिप वाली चाय भी तैयार की जा रही है। हार्क के संचालक महेंद्र कुंवर ने बताया कि चाय के सैंपल निर्यातकों के माध्यम से सिंगापुर भेजे गए थे। वहां से बेहतर रिस्पांस मिला है। सिंगापुर के व्यवसायियों ने बड़ी मात्रा में चाय की सप्लाई का ऑर्डर दिया है। किसान विदेशी ऑर्डर से काफी उत्साहित हैं। इस साल करीब एक करोड़ रुपए की चाय निर्यात करने का लक्ष्य रखा गया है। कुंवर ने बताया कि दुबई से भी चाय की डिमांड मिलने की उम्मीद है। वहां भेजे गए सैंपल्स को भी गुड कमेंट्स मिले हैं।
तुलसी के फायदे : तुलसी की चाय सर्दी-जुकाम के दुष्प्रभाव रोकने में मदगार है और इसकी खुशबू में लाजवाब होती है चाय। कम पानी वाली जगहों पर आसानी से उग जाते हैं तुलसी के पौधे। विशेष गंध के कारण जंगली जानवर तुलसी के पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। तुलसी की खेती साल भर में तीन बार की जा सकती है।

1 comment: