Sunday, January 30, 2011

खुदकुशी कर रहे कर्ज में डूबे किसान


उड़ीसा के बरगढ़ जिले में महज एक माह के दौरान चार किसानों ने आत्महत्या कर ली। बेमौसम बारिश की वजह से फसलों को पहुंचे नुकसान ने इन किसानों को आत्महत्या करने पर विवश कर दिया। खेती के पूर्व इन किसानों ने कर्ज लिया था, लेकिन फसल बर्बाद होते ही इनकी कमर टूट गई और एक के बाद एक कर एक माह के अंदर चार किसानों ने आत्महत्या कर ली। खास बात यह है कि यह बरगढ़ जिला धान की कटोरी के रूप में प्रसिद्ध है। यानी गुणवत्तायुक्त व अधिक मात्रा में यहां धान की खेती होती है, लेकिन बेमौसम बारिश के चलते धान की फसल बर्बाद हो गई। हालांकि सरकार ने किसानों के लिए 900 करोड़ रुपये की घोषणा तो की है, लेकिन इसका लाभ आम किसानों को नहीं मिल रहा है। खुदकुशी करने वाले किसानों में धीरपुर गांव के अशोक खटवा व उनका पुत्र सुजीत खटवा ने फांसी लगाकर 27 दिसंबर की रात आत्महत्या कर ली थी। इसके ठीक दो दिन बाद इसी जिले के गोपई गांव के शिव घोई ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली और 26 जनवरी को जड़ा गांव के किसान भैरव भुए ने आत्महत्या कर ली। जबकि भैरव भुए पांच एकड़ जमीन का मालिक था। धान की फसल के लिए उसने सहकारी समिति से 20 हजार रुपये और कुछ धनराशि अपने परिचितों से भी उधार ली थी। दिसंबर महीने में बेमौसम बारिश से उसकी फसल बर्बाद हो गयी। भैरव ने कर्ज का आधा रुपया तो किसी तरह चुका दिया था लेकिन फसल बर्बाद हो जाने के कारण कुछ लोगों को कर्ज चुकाने में असफल रहा। इसी के चलते उसने आत्महत्या का रास्ता चुना। अनशनकारी किसानों की हालत बिगड़ी बुलंदशहर : ककोड़ की सीमा से सटे जनपद गौतमबुद्धनगर के गांव भट्टा में भूमि अधिग्रहण के विरोध में आमरण अनशन पर बैठे कई किसानों की हालत बिगड़ रही है। गुरुवार को धरने पर तीन हजार से ज्यादा किसान मौजूद रहे। यमुना एक्सप्रेस-वे विकास प्राधिकरण द्वारा जनपद बुलंदशहर और गौतमबुद्धनगर में भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है। क्षेत्र के किसान इसका विरोध कर रहे हैं। हाल ही में तहसील सिकंदराबाद व खुर्जा के भी चालीस गांवों को प्राधिकरण में शामिल किया गया है।



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