Saturday, January 15, 2011

किसानों की व्यथा

हरित क्रांति किसान ले कर आया, लेकिन उसका श्रेय लिया सरकार ने कि उसके प्रयासों से किसानों ने रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग सीखा और अन्न की उपज बढ़ाई जिससे देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हुआ। किसान सरकारों और रासायनिक खाद व कीटनाशकों के व्यापार से अपनी थैलियां भरने वाली कंपनियों की बात पर विश्र्वास करता रहा और आगे बढ़ता रहा। इस वर्ष पड़ी तेज सर्दी के कारण जब फसलें पाला पड़ने से खराब हुई तो किसान अपनी मेहनत को नष्ट होते देख परेशान हो उठा। खेती अब वैसी नहीं रही कि जिसमें पहले घर का बीज होता था और खाद पालतू जानवरों के गोबर से बनती थी। मामूली लागत और कड़ी मेहनत से फसल घर आ जाती थी। अब एक फसल के लिए भी किसान को बहुत अधिक धन लगाना पड़ता है। बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई आदि के लिए भारी राशि खर्च करनी पड़ती है। अधिकांश किसान इसके लिए कर्ज लेकर धन जुटाते हैं। जब पाले से फसल बर्बाद हुई तो किसान पर इतना कर्ज का बोझ पड़ा जिसे वह चुकाने में असमर्थ है। मध्य प्रदेश के दमोह जिले में बर्बादी के कारण दो किसान आत्महत्या कर चुके हैं। ऐसे में सरकार का फर्ज तो यह बनता था कि वह किसानों की इस प्राकृतिक आपदा से हुई हानि का आकलन करती और कर्ज के बोझे से दबे किसानों को कुछ राहत पहुंचाती। किसानों की सरकार से यह अपेक्षा तब और भी बढ़ जाती है जब जिस जिले में यह बर्बादी हुई है, राज्य का कृषि मंत्री उसी जिले का हो, लेकिन कृषि मंत्री ने क्या किया? राज्य के कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया अपने गृह जिले पहुंचे और बजाय इसके कि वह किसानों को लगे घावों पर मरहम लगाते, उलटे पुराण कथा बांचना आरंभ कर दी। उन्होंने कहा यह सब किसानों के पापों का फल है। खेती में रसायनों का इस्तेमाल बढ़ने से मिट्टी की सेहत खराब हुई है और उसकी प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो चुकी है। ऐसा होने से मिट्टी में नमी नहीं रहती और पाला अपना असर दिखा जाता है। वेद पुराणों में कामधेनु व कल्पवृक्ष का जिक्त्र है मगर आज हम उनसे दूर हो चले हैं। इसलिए प्राकृतिक प्रकोप बढ़ा है। एक ओर जंगल कट गए हैं तो दूसरी ओर गाय का उपयोग कम हो रहा है। इस तरह संतुलन गड़बड़ा गया है जिसके चलते यह सब हो रहा है। यह सही है कि कुसमरिया जी जैविक कृषि के भारी समर्थक हैं, वे चाहते हैं कि मध्यप्रदेश एक जैविक कृषि के लिए जाना जाए, लेकिन इसका अर्थ यह तो नहीं कि किसी व्यक्ति को जब चोट लगे तो उस पर नमक छिड़का जाए।

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