Saturday, January 1, 2011

नीलगायों को रोकेंगे बिजली के झटके

पटना, नीलगाय से फसलों की सुरक्षा के लिए खेतों में वायर फेंसिंग (बिजली के तारों वाली बाड़) होगी। घेराबंदी वाले तार में सौर ऊर्जा का करंट प्रवाहित होगा। एक बार करंट लगने पर नीलगायें दोबारा उस खेत तक पहुंचने की हिम्मत नहीं करेंगी। बिहार के पटना, भोजपुर, भभुआ, बक्सर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर के अलावा सीमावर्ती जिलों के किसान भी तबाह हैं। इसी को देखते हुए बिहार कृषि विभाग की उच्चस्तरीय समिति ने नीलगायों के चलते सालाना होने वाली लाखों की क्षति रोकने को खेतों में बिजली के तारों की बाड़ लगाने का उपाय सुझाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका प्रयोग पहले सरकारी फार्म में किया जाए। इसकी सफलता को दिखाने के लिए किसानों को फार्म का भ्रमण कराया जाए। फिर वे अपने-अपने खेतों की घेराबंदी करें। इसके लिए सरकार अनुदान देगी। अनुदान की व्यवस्था राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत होगी। केंद्र सरकार पैदावार में वृद्धि पर बल दे रही है। इसके लिए केंद्र संपोषित योजनाएं लागू है। ऐसी स्थिति में फसलों की सुरक्षा में भी केंद्र का सहयोग प्राप्त किया जायेगा। अभी सरकारी कृषि फार्म में उन्नत किस्म के धान व खरीफ बीज का उत्पादन हो रहा है। उत्पादित बीज की आपूर्ति बिहार राज्य बीज निगम को हो रही है। नीलगाय का आतंक : नीलगाय शाकाहारी प्राणी है। यह दस फुट ऊंचाई तक छलांग लगा सकती है। इसका आक्त्रमण विशेष रूप से दलहनी फसलों पर होता है। ये धान, गेहूं व मक्का की फसलों को खाने के अलावा खड़ी फसल को रौंदकर बर्बाद कर देती हैं। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के किसान इनके आतंक से परेशान हैं। क्या है वायर फेंसिंग! : खेतों की घेराबंदी किए गए तार में सौर ऊर्जा प्रवाहित की जायेगी। ऐसा डायनेमो लगाकर होगा। इसके संपर्क में आने से नीलगाय की मृत्यु नहीं होगी, बल्कि मात्र झटका लगेगा। यह नीलगाय को खेतों की तरफ मुखातिब होने की हिम्मत तोड़ देगा। शिकार पर पुरस्कार! : नीलगाय के शिकार की अनुमति वन पर्यावरण विभाग को प्रदान करनी है। उसने सैद्धांतिक तौर पर अपनी सहमति दे दी है। नीलगाय का मृत शरीर सौंपने पर सरकार 500 रुपये पुरस्कार देगी। पर्यावरण व वन विभाग नीलगाय प्रभावित पंचायतों के मुखिया व जनप्रतिनिधियों को मानद वन्य प्राणी प्रतिपालक घोषित करेगा। नीलगाय के शिकार का लाइसेंस दिया जायेगा। इस संबंध में पर्यावरण विभाग ग्राम सभा, जिला परिषद व राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श करेगा।

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