Sunday, January 23, 2011

बंदूक के साये में प्याज की खेती


प्याज के दामों में लगी आग के कारण हरियाणा के किसान गेहूं छोड़ प्याज की खेती में लग गए हैं। किसानों के बढ़ते आकर्षण का ही नतीजा है कि प्याज की पौध के दामों में भी उछाल आ गया है। मांग बढ़ने से खेतों में खड़ी प्याज की पौध के चोरी होने को अंदेशा है। ऐसे में किसान हथियारों के साथ पौध पर दिन रात पहरा दे रहे हैं। हरियाणा में किसान रबी सीजन में गेहूं की फसल को प्रमुखता देते हैं। सूबे में करीब 25 लाख हेक्टेयर रकबे में गेहूं की बुआई होती है। इस साल देश भर में प्याज का खुदरा मूल्य सौ रुपये प्रति किलो तक जा पहुंचा। अभी भी प्याज 50 रुपये किलो से अधिक चल रहा है। ज्यादा से ज्यादा लाभ की उम्मीद में किसान प्याज की फसल लगाने की तैयारी में जुटे हैं। विभिन्न जिलों में रोपाई का काम जोरों पर है। पिछले साल कुरुक्षेत्र जिले में प्याज का रकबा साढ़े सात सौ हेक्टेयर था। बागवानी विभाग के अनुसार, इस बार इसमें कई गुणा वृद्धि होने की संभावना है। बहुत से किसानों ने गेहूं का मोह छोड़ प्याज के लिए खेत खाली छोड़ रखे हैं। आलू उखाड़ने के बाद खाली हुए रकबे में प्याज की रोपाई हो रही है।प्याज के प्रति आकर्षण देख प्याज की पौध तैयार करने वाले किसानों ने इसके दाम भी एकाएक बढ़ा दिए हैं। इस बार 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से पौध बिकी है। हालांकि जिन किसानों की पौध ज्यादा उम्र की होती जा रही है, वह उसे कुछ कम दाम कर बेच रहे हैं। प्याज की पौध की बढ़ी मांग के चलते इसके चोरी होने का भी डर बना हुआ है। कई जगह पौध चोरी की घटनाएं हुई। हालांकि यह मामला थाने तक नहीं पहुंचा है। ऐसे में मुख्य सड़क के आसपास तैयार प्याज की पौध पर किसान 24 घंटे पहरा दे रहे हैं। कइयों ने तो अपने लाइसेंसी हथियार भी अपने पास रखे हैं। बंदूक के साथ प्याज की फसल पर पहरा दे रहे गांव बीड सौंटी के किसान हरबंस सिंह और ध्यान सिंह का कहना है कि पौध के दाम इतने बढ़ चुके हैं कि इसकी चोरी का खतरा है। उनके खेत जंगल के पास है, यहां चोरी की संभावना ज्यादा रहती है। ऐसे में उन्हें दिन-रात निगरानी करनी पड़ रही है। सब्जी विशेषज्ञ डा. सीबी सिंह का कहना है कि प्रदेश में पहली बार प्याज के प्रति किसान इतने आकर्षित होते दिखाई दिए हैं। किसान महंगे दामों में पौध खरीदकर प्याज की रोपाई करने में जुटे हैं।

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